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Sunday, April 5, 2020

अनूपपुर (अमरकंटक ) के दर्शनीय पर्यटन स्थल | Anuppur And Amarkantak Tourist Plcaes -

 April 05, 2020     जिले के समीपवर्ती पर्यटन स्थल   


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अनूपपुर जिले और अमरकंटक  के दर्शनीय पर्यटन स्थल | Anuppur district And Amarkantak Tourist Plcaes  -

अनुपूर जिले का गठन 2003 में शहडोल जिले को विभाजित करके  किया गया था | वर्तमान में अनूपपुर जिला  शहडोल सम्भाग के अंतर्गत आता है | अनूपपुर जिले का  क्षेत्रफल 3701 वर्ग किलोमीटर है  , 2011  की जनगणना के अनुसार अनूपपुर जिले की जनसंख्या 749237 है | अनुपपुर जिले में 602 गाँव और 282 ग्राम पंचायत हैं |  जिले मेंघूमने हेतु कई  दर्शनीय पर्यटन स्थल  हैं | विश्व प्रसिद्ध अमरकंटक भी अनूपपुर जिले के अंतर्गत आता है |अनूपपुर जिले के प्रमुख दर्शनीय पर्यटन स्थल निम्नानुसार हैं -

1- अमरकंटक | Amarkantak - 

 अमरकंटक म.प्र. के अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ तहसील में स्थित बहुत ही सुन्दर पवित्र और शान्त स्थान  है | अमरकंटक से  ही माँ नर्मदा का उद्गम हुआ है | अमरकंटक में पवित्र नर्मदा नदी के सांथ-सांथ सोन नदी और जोहिला नदी  का भी उद्गम स्थल है |माँ नर्मदा को भगवान शिव की पुत्री माना जाता है | अमरकंटक को भगवान शिव, कपिल मुनि, दुर्वासा ऋषि  की तपोभूमि भी कहा जाता है | अमरकंटक अपनी धार्मिक मान्यताओं के सांथ-सांथ अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिये भी विश्व-विख्यात है | अमरकंटक में घूमने के लिये कई धार्मिक और प्राकृतिक  स्थल है-  आइये जानते हैं इनमे से कुछ महतवपूर्ण स्थानों के बारे में -
1) माँ नर्मदा उद्गम कुंड (स्थल) - अमरकंटक में पवित्र नर्मदा का उद्गम स्थल है यहाँ माँ नर्मदा की उत्पत्ति एक कुंड से हुई है | कहा जाता है कि पहले नर्मदा की धारा की  बॉस के झुण्डनिकलती थी बाद में हजारो साल पहले रेवा-शंकर ने इस स्थान पर एक कुंड का निर्माण करवाया | इसके पश्चात  नागपुर के भोंसले राजाओं और इंदौर की रानी अहिल्या बाई ने कुंड का जीर्णोद्वार करवाया और कुछ मंदिर बनवाये | रीवा के राजा गुलाब सिंह ने माँ नर्मदा के कुंड के चारो तरफ परिसर का निर्माण करवाया  और मुख्य गेट और  मंदिर बनवाये |परिसर के अन्दर माँ नर्मदा का मुख्य मंदिर है जिसमे काले पत्थर से निर्मित माँ नर्मदा की प्रतिमा है माँ नर्मदा के मंदिर के सांथ सांथ यहाँ 24 अन्य छोटे-बड़े मंदिर हैं जिनमे राम जानकी मंदिर, शिव परिवार , दुर्गा माता मंदिर व अन्य मंदिर हैं |
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(2) कल्चुरी कालीन मन्दिर अमरकंटक -

कल्चुरी कालीन इन मदिरों का निर्माण कल्चुरी नरेश कर्णदेव 11 वीं शताब्दी में  करवाया था | ये मंदिर नर्मदा कुंड के समीप हैं | यहाँ कल्चुरी  कालीन मंदिरों का समूह है इनमें प्रमुख है  - कर्ण मन्दिर , मच्छेन्द्रनाथ मन्दिर , पातालेश्वर मन्दिर , केशव नारायण मन्दिर  प्रमुख हैं | यहाँ के अधिकांश मंदिर शिव मंदिर हैं | इसी परिसर में एक जल कुंड भी है जिसे सूर्य कुंड कहा जाता है कि इसे शंकराचार्य जी ने बनवाया था | इन सभी मंदिरों की देखरेख पुरातत्व विभाग करता है |

(3) माई की बगिया अमरकंटक  -

अमरकंटक में नर्मदा उद्गम कुंड से 1 किलोमीटर की दूरी पर माई की बगिया नामक स्थान है ,  यहां  सुन्दर फूलों और फलों  के पेड़-पौधे लगें है |माई की बगिया में गुलबाकावली के पौधे पाये जाते है जिससे नेत्र रोगों के लिए औषधि बनाई जाती है | पुराणों में कहा गया है कि बचपन में  गुलबाकावली , माँ नर्मदा की सहेली थीं  |

(4) सोनमुडा अमरकंटक -

सोनमुड़ा  सोन नदी और भद्र नदी का उद्गम स्थल है ये दोनों नदियाँ अपने उद्गम स्थल से  कुछ ही दूरी पर मिल जाती हैं और सोन-भद्र कहलाती है | सोन-भद्र  उद्गम स्थल से कुछ ही दूरी पर लगभग  100 फीट का झरना बनाती है |  सोन मुड़ा  नर्मदा उद्गम स्थल से 1.5 किलोमीटर दूर है | यह स्थान अपने अद्भुत सोंदर्य के कारण  भी जाना जाता है |

(5) कपिलधारा प्रपात अमरकंटक  -

 कपिल धारा जलप्रपात नर्मदा उद्गम स्थल से 6 किलोमीटर दूर है यह माँ नर्मदा अपना पहला जलप्रपात बनाती है | झरने की ऊंचाई  100 फीट है | यह स्थान कपिल मुनि की तपोभूमि रहा है पास में ही कपिल मुनि का आश्रम और मंदिर भी है |
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(6 ) दूधधारा प्रपात अमरकंटक -

 कपिल धारा से नीचे की ओर जाने पर माँ नर्मदा का दूसरा जलप्रपात है | यहाँ का नर्मदा जल झरने से गिरने के बाद दूध के समान दिखलाई देती  है इसीलिये इसे दूधधारा जल प्रपात कहा जाता है | यह स्थान दुर्वासा ऋषि की तपोभूमि रहा है |

(7) श्री जालेश्वर मन्दिर अमरकंटक-

यह मंदिर अमरकंटक से  शहडोल रोड पर 8 किलोमीटर म.प्र. और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित है  |इसी स्थान से जोहिला की उत्पत्ति हुई है | यहां भगवन शिव का सुन्दर मन्दिर है माना जाता है कि यहाँ स्थित  शिवलिंग स्वयं भगवान शिव ने स्थापित  किया था |

(8 ) जैन मन्दिर अमरकंटक -

 अमरकंटक में  विशाल जैन मंदिर है जिसे सर्वोदय जैन मंदिर कहा जाता है | मंदिर का निर्माण लाल पत्थरों से किया गया है | मंदिर के गर्भ गृह में  भगवान आदिनाथ 24 टन  की प्रतिमा 17 तन के कमल सिंघासन पर विराजमान है | इस प्रकार प्रतिमा और कमल सिंघासन का कुल बजन 41 टन है | मंदिर अभी निर्माणाधीन है |

 (9) श्रीयंत्र महामेरु मंदिर -

  अमरकंटक का श्रीयंत्र महामेरु  मंदिर नर्मदा कुंड से 1 किलोमीटर दूर  स्थित है, यह घने जंगलों से घिरा है | मंदिर की आकृति श्रीयन्त्र जैसी है , इसका निर्माण भी विशेष मुहूर्त में किया गया है | यह बहुत ही सुन्दर मंदिर है यहाँ सेलानियों को एक बार अवश्य जाना चाहिये |
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(10) अमरेश्वर महादेव मंदिर -

यह मंदिर अमरकंटक से 10 किलोमीटर दूर म.प्र. और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित है | मंदिर का अधिकांश भाग छत्तीसगढ़ की सीमा के अन्दर है |   यहां विशाल शिवलिंग है जिसकी ऊंचाई 11 फीट है और शिवलिंग का वजन 51 टन है  | इस शिवलिंग पर अभिषेक करने के लिए सीढियां लगे गई हैं | शिवलिंग को ओमकारेश्वर से  और जलहरी को कटनी से लाया गया है |

2- सिलहरा (शिवलहरा) की गुफाएं | Silahara Caves Anuppur  -

अनूपपुर  जिले से 40 किलोमीटर दूर कोतमा तहसील के अंतर्गत  शिवलहरा की गुफाएं स्थित हैं जिन्हें स्थानीय सिलहरा की गुफाएं भी कहते हैं | भालूमाडा  से करीब 10 किलोमीटर दूर  शिवलहरा  गाँव से 2 किलोमीटर कच्चे रस्ते से जाना पड़ता है | अनूपपुर  जिले के दारसागर ग्राम पंचायत में केवई  नदी के जलधाराओं के किनारे शिवालहरा की पहाड़ियों के बीच दूसरी सताब्दी की  प्राचीन गुफायें हैं | लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित गुफाओं के आगे पीछे सीढियाँ , कुंड, स्नानागार, पूजा स्थल और पढने-लिखने की पट्टिकायें मिली हैं | गुफाओं में खुबसूरत पाषाण चक्र रखा है जो देखरेख के अभाव में खंडित हो गया है| शिवलहरा की गुफाओं के अन्दर मिट्टी के पात्र भी मिले हैं |  गुफा के अन्दर भगवान् शिव का पूजा स्थल और बरामदा भी है | ये गुफायें दूसरी शताब्दी के नागवंशीय शासन काल की हैं |   गुफा की दीवार पर प्राचीन लिपि  में शब्द लिखे हैं जिन्हें शायद अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है |  कुछ लोग इन्हें पाण्डव कालीन भी मानते हैं उनके अनुसार पाण्डव अपने वनवास के समय कुछ समय के लिये इन गुफाओं में रुके थे | गुफाओं के पास ही केवई  नदी है , नदी का जल साफ और स्वच्छ है इसमें स्नान भी किया जा सकता है | मकर संक्रान्ति और  शिवरात्रि को यहाँ मेला लगता है , इसमें आस-पास के लोग यहाँ आते हैं और भगवान् शिव की पूजा अर्चना करते हैं  | इन गुफाओं को पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारक घोषित किया है परन्तु इसकी कोई देखभाल शासन-प्रशासन द्वारा नहीं की जा रही है | गुफाओं तक पहुँचने के लिये कुछ दूरी तक कच्चेरास्ते से जाना पड़ता है |
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Silhara caves Anuppur

3- चचाई बांध और अमरकंटक थर्मल पॉवर अनूपपुर  -

चचाई बांध अनूपपुर जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मानव निर्मित बाँध है | चचाई बांध सुथना नदी पर बनाया गया है | डैम में पानी कम होने पर  सोन नदी  से सुथना नद में पाईप लाइन के माध्यम से  पानी भेजा जाता है |चचाई बांध  लगभग 700 एकड़ ( 2.8 वर्ग किलोमीटर ) में फैला है  | चचाई बांध से आस-पास का दृश्य बहुत ही सुन्दर और मनमोहक है | चचाई बांध से लगी हुई  अमरकंटक ताप परियोजना है जो मध्य-प्रदेश की बड़ी ताप परियोजनाओं में से एक है  | अमरकंटक ताप परियोजना  की पहली इकाई मार्च  1977 अस्तित्व में आई | अमरकंटक ताप परियोजना को पानी की पूर्ति इसी चचाई बाँध से ही होती है |
 

4- स्वयंभू गणेश जी धरहर कला अनूपपुर -

अमरकंटक से 35 किलोमीटर दूर राजेन्द्रग्राम ( पुष्पराज गढ़ ) तहसील मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर धरहरकला गाँव के पास जंगल में  गणेश जी  की प्राचीन प्रतिमा है जो लगातार बढ़ रही है | कहा जाता है कि पहले प्रतिमा की ऊंचाई एक फुट थी जो अब 11 फुट हो गई  है | मान्यता है कि यहाँ भक्तो की मांगी गई  हर मनोकामना पूरी होती है  इसीलिये यहाँ दूर दूर से लोग आतें हैं |  पहले इस स्थान पर गणेश जी की मूर्ति खुले आसमान के नीचे थी बाद में मंदिर बनाया गया | गणेश जी के मंदिर के पास कल्चुरी कालीन प्राचीन मंदिर है जो अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है , मंदिर के पास में  भगवान ब्रम्हा, विष्णु और शिव की प्राचीन मूर्तियाँ भी हैं | मंदिर के पास ही मैं गौरी कुंड और गौरी गुफा है | मंदिर की देख रेख साधु संत करते हैं | बसंत पंचमी को यहां विशाल मेला भरता है | यह मंदिर घने जंगलों से घिरा है |
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Dharhar kala Ganesh ji jila- Anuppur

5- जलप्रपात धरहर कला (बहगड़ नाला ) अनूपपुर-

 धरहर कला गणेश मंदिर से  लगभग 2 किलोमीटर दूर छोटी नदी पर कुछ बहुत ही खुबसूरत जलप्रपात है | मंदिर से यहाँ तक पैदल ही जाना पड़ता है  और रास्ता बहुत ही ऊबड -खाबड़ और खतरनाक है जिसमें पहाड़ियों के बीच से छोटी-छोटी पगडंडियों से जाना पड़ता है |  प्रकृति की गोद में स्थित यह झरना बहुत ही सुन्दर और आकर्षक है यहाँ का शांत वातावरण और हरियाली  सैलानियों को मन्त्र-मुग्ध कर देती है |
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Dharhar kala waterfall Anuppur

6- कोडर वाटरफाल | Kodar Fall Anuppur  -

 कोदर वॉटरफॉल जिसे कन-कन फॉल  भी कहा जाता है अनूपपुर जिले की पुष्पराज गढ़ तहसील के अंतर्गत आता यह |  यह वाटरफाल जोहिला नदी पर स्थित है | इस स्थान पर जोहिला नदी बहुत ही सुन्दर झरना बनाती है जिसमें नदी की जलधारायें कई हिस्सों में बाँट जाती है | यह झरना बरसात और ठंडी के मौसम में बहुत ही भव्य दिखलाई देता है | बारिस में यहाँ का दृश्य बहुत ही खुबसूरत होता है बरसात में झरना नियाग्रा फॉल की तरह दिखलाए देता है इसी कारण इसे मिनी नियाग्रा भी कहा जाता है | कन-कन (कोडर फॉल) कोदर और उदल गाँव के समीप स्थित है | झरने से जिला मुख्यालय अनुपपुर की दूरी 78 कि.मी., सम्भाग मुख्यालय शहडोल-45 कि.मी, उमरिया-93 कि.मी, और डिंडोरी 75 कि.मी , बड़ी तुम्मी 45 दूर है |
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7 -तुम्मी बड़ी  अनूपपुर | Badi Tummi Anuppur -

अनूपपुर , उमरिया  जिले की सीमा पर अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ तहसील के अंतर्गत बड़ी तुम्मी नामक बहुत ही खुबसूरत स्थान है | यह स्थान  घुनघुती की पहाड़ियों के बीच  बांधवगढ़  उद्यान के अंतर्गत आता है | यहाँ की ऊँची नीची पहाड़ियां और प्रकृति की सुन्दरता सैलानयों को अपनी ओर आकर्षित करती है |यहाँ उगते और डूबते सूरज को देखने के लिये दूर -दूर से लोग आते हैं | बड़ी तुम्मी से 6 किलोमीटर दूर छोटी तुम्मी  वॉटरफॉल है यह उमरिया जिले के अंतर्गत आता है | बड़ी तुम्मी शहडोल से लगभग 27 किलोमीटर और अनुपपुर से 75 किलोमीटर दूर है |
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Badi Tummi

उक्त स्थलों के अतिरिक्त शहडोल और अनुपपुर जिले की सीमा पर स्थित अमलाई पेपर मिल भारत की सबसे बड़ी पेपर मीलों में से एक है | अमलाई का बिरला मंदिर यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है |
अनूपपुर  जिले के दर्शनीय स्थलों की जानकारी Youtube पर भी नीचे दी गई लिंक पर प्राप्त कर सकते हैं-
अनूपपुर दर्शनीय स्थल Youtube

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