Dindori MP Tourism

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Friday, September 6, 2019

मंडला जिले के दर्शनीय पर्यटन स्थल | Mandla Tourist places in Hindi 2020

 September 06, 2019     जिले के समीपवर्ती पर्यटन स्थल   

 
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मंडला जिले के दर्शनीय पर्यटन स्थल | Mandla Paryatan sthal (Tourist Place In Hindi)2020  -

भारत के मध्य प्रदेश राज्य के पूर्वी भाग में मंडला जिला स्थित है | मंडला जिला पवित्र नर्मदा नदी एवं इसकी सहायक बंजर नदी और बुढनेर जैसी बड़ी नदियों से घिरा हुआ है | मंडला जिला  सतपुड़ा के पठार से लेकर   डिंडोरी जिले की मैकल पर्वत श्रेणियों तक फैला हुआ  है | जिले का जिला मुख्यालय मंडला शहर में है | मंडला जिले में 6 तहसील , 9 विकासखंड एवं 1221  गांव है | मंडला जिले की छः तहसील मंडला, बिछिया, घुघरी ,नैनपुर, नारायणगंज और निवास है | मंडला जिले में 9 विकासखंड मंडला, नैनपुर, बिछिया, मोहगांव, नारायणगंज, निवास, बीजाडांडी , घुघरी और मवई | मंडला जिले की सीमाएं बालाघाट, डिंडोरी और सिवनी जिलों से और छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले से लगती हैं |मंडला जिला सागोन और साल के जंगलों से आच्छादित है | मंडला जिला देश पर प्राण न्योछावर करने वाली रानी दुर्गावती और रानी अवंतिबाई जैसी वीरांगनाओं की भूमि रहा है | मंडला जिले में कई ऐतिहसिक, प्राकृतिक एवं धार्मिक दर्शनीय स्थलों से संपन है | मंडला में घूमने के लिये कई  दर्शनीय एवं पर्यटन स्थल हैं | इनमें  प्रमुख दर्शनीय एवंपर्यटन  स्थल (MandlaTourist Places) निम्नानुसार है-

1-कान्हा राष्ट्रीय उद्यान | Kanha National Park -

 कान्हा राष्ट्रीय उद्यान ना केवल मंडला का अपितु विश्व के प्रमुख पर्यटन स्थलों (Tourist Places) में एक है | मंडला से 70 किलोमीटर दूर पूरे   विश्व में बाघों के संरक्षण के लिए जाना जाता है | कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है  इसका  कोर एरिया  940 वर्ग किलोमीटर और बफर एरिया 1009   वर्ग किलोमीटर है ,  इस प्रकार इसका कुल क्षेत्रफल 1949  वर्ग किलोमीटर  है जो मंडला और बालाघाट जिलों में  फैला है | कान्हा को 1933 अभ्यारण और  1995 राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला और 1973 में प्रोजेक्ट  टाइगर रिजर्व घोषित किया गया | कान्हा राष्ट्रीय उद्यान बाघ के संरक्षण के अतिरिक्त लुप्तप्राय बरसिंघा जिसे दलदली हिरण भी कहा जाता है के संरक्षण के लिये भी जाना जाता है | कान्हा पार्क में घूमने के लिए कान्हा संग्रहालय, बम्हनी  दादर पॉइंट, श्रवण ताल ,लेपसी  की कब्र और घास के बड़े-बड़े मैदान प्रमुख हैं | कान्हा में प्रवेश हेतु  तीन गेट हैं जिनमें 1-कान्हा किसली गेट, 2-मुक्की गेट ,3-सरही गेट है |

2-रामनगर के महल | Ramnagar Mandla-

 मंडला जिले के रामनगर में स्थित महलों का निर्माण गोंड राजा ह्रदय शाह द्वारा 1651 से 1667  के बीच में करवायागया  |रामनगर पवित्र नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ है |रामनगर के प्रमुख पर्मुख दर्शनीय पर्यटन (Tourist Places ) स्थल मोती महल ,राय भगत की कोठी ,बेगम महल और विष्णु मंदिर  हैं -

(A) मोती महल  रामनगर |Moti Mahal Ramnagar - 

रामनगर के महलों में सबसे प्रमुख है मोती महल | मोती महल को राजा का महल भी कहा जाता है यह तीन मंजिला महल है | महल में कई छोटे-बड़े कमरे हैं |महल के आंगन की दीवार में एक लेख जड़ा हुआ है जिसमें गोंड राजाओं की वंशावली दी गई है| महल की  दीवार से लगा हाथी खाना है | महल में सुरंगे भी मनाई गई|
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Moti mahal ramnagar

(B)राय-भगत की कोठी रामनगर | Ray Bhagat Ki Kothi - 

रामनगर का दूसरा महत्वपूर्ण महल राय-भगत की कोठी है | इस महल का निर्माण राजा  ह्रदय शाह ने अपने दीवान राय  भगत के लिये करवाया था |देखने में यह महल मोती महल का  संक्षिप्त संस्करण दिखलाई देता है|

(C)बेगम महल रामनगर | Begam Mahal Ramnagar  - 

इस महल का निर्माण राजा हिर्दय शाह ने चिमनी रानी के लिये करवाया था | यह महल तीन मंजिला  है | महल मुग़ल शैली में बना है |महल के सामने बाबड़ी बनी है जो महल की सुन्दरता को कई गुना बढ़ा  देती है |

(D) विष्णु मंदिर रामनगर | Vishnu Mandir Ramnagar-

रामनगर में स्थित विष्णु मन्दिर का निर्माण राजा हिरदय शाह की पत्नी सुंदरी देवी ने करवाया था | इस मंदिर का शिखर गुम्बदाकार है | अब इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है |
रामनगर की ये चारो इमारतें / मंदिर  को पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है |

 3-सहस्त्रधारा  मंडला | Sahstra Dhara Mandla-

मंडला शहर के दर्शनीय पर्यटन स्थलों में सहस्त्र धारा प्रमुख है | सहस्त्र धारा मडला शहर से 3 किलोमीटर दूर है | यहाँ पवित्र नर्मदा नदी की धारा  कई धाराओं में विभक्त होकर  छोटे-बड़े  जलप्रपात बनाती है | यहाँ नर्मदा की धारा काले ग्रेनाईट और बेसाल्ट पत्थरों की चट्टानों के बीच से कल-कल बहती  हुई अति मनोहारी लगती  है | सहस्त्रधारा की चट्टानें लावा द्वारा निर्मित प्रतीत होती हैं | बरगी बाँध के भराव के कारण यहाँ धाराओं और जलप्रपातों की संख्या कम हो गई है | यह स्थान बरगी बाँध के भराव का आखिरी पॉइंट है |इस स्थान का पुराणों में भी उल्लेख मिलता है , पौराणिक  मान्यतानुसार इस स्थान पर  हैहयवंशी  राजा कार्तवीर अर्जुन जिन्हें सहस्त्रबाहु से भी जाना जाता था , ने अपनी हजारो भुजाओं से माँ नर्मदा को रोकने का प्रयास किया था परन्तु माँ नर्मदा हजारो धाराओं में विभक्त हो गईं और सहस्त्रबाहु उन्हें नहीं रोक सका | सहस्त्रधारा में दो अति प्राचीन शिव मंदिर हैं | शासन द्वारा इस स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है | यहाँ के सुन्दर दृश्य को देखने के लिये वाच टावर बनाये गए हैं |

4-नर्मदा घाट मंडला  |  Holy Narmda River  Ghat Mandla- 

मंडला शहर तीन तरफ से पवित्र नर्मदा नदी से  घिरा हुआ है | मंडला में पवित्र नर्मदा के तट पर कई नए और पुराने दर्शनीय घाट है इनमे प्रमुख है-
(1) रपटा घाट - मंडला शहर के बीचो-बीच स्थित यह घाट मंडला का मुख्य घाट है |घाट पर सीढियां बनी है | यहाँ प्रतिदिन  शाम को माँ नर्मदा की महा-आरती होती है |रपटा घाट में मुख्य पुल के दोनों तरफ  कई छोटे-बड़े नये और पुराने मंदिर हैं यहाँ दिनभर दर्शन करने के लिये लोगों की भीड़ लगी रहती है |त्यौहार एवं विशेष अवसरों पर होने वाले अधिकतर कार्यक्रम इसी घाट पर होते हैं |

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Rpata Ghat Mandla
 (2)रंगरेज घाट - यह मंडला का प्राचीनतम घाट है | घाट पर कई प्राचीन मंदिर हैं | इस घाट पर अब झुला पुल बना दिया गया है जिससे मंडला शहर और और पुरवा गाँव के बीच की दूरी अब मात्र 2 किलोमीटर रह गई है |
(3)नाव घाट -यह मंडला का अति प्राचीन घाट है | यह मंडला को आस-पास के गावों से नाव द्वारा  जोड़ता है |
(4) किला घाट -यह घाट मंडला के किले के पास में स्थित है |इस घाट के सामने संघम घाट है |
(5)हनुमान घाट - इस घाट  पर सीता-राम बाबा की समाधी है | यहाँ प्राचीन  मंदिर है जिसमे भगवान् शिव और हनुमान जी का सिद्ध मंदिर है |
(7)नाना घाट - इस घाट का निर्माण मराठा काल में 1807 से 1810 तक मराठा  काल सूबेदार रहे नाना घाटगे द्वारा किया गया |नाना घाटगे  पूरा नाम नारायण बाजी घाटगे था |कहा जाता है के पहले यहाँ एक गर्म पानी का कुंड भी था जो अब विलुप्त हो गया है | इस घाट पर मराठा कालीन शिव मंदिर है
(8) सिंगवाहिनी घाट- यह घाट मंडला के सिंग वाहिनी वार्ड के अंतर्गत आता है | इस घाट के नजदीक माता सिंग्वाहिनी का प्राचीन मंदिर है | यह घाट मंडला और महाराजपुर को नाव द्वारा जोड़ता है |
(9)जेल घाट - यह घाट मंडला के जिला- जेल के सामने है |घाट के पास सुन्दर नेहरू गार्डन है | घाट से लगे कुछ पुराने मंदिर और पास ही एक मदरसा भी है |
(11 )कलेक्ट्रेट घाट - यह घाट कलेक्टर बंगले से लगा हुआ है |
(11 )न्याय घाट - यह घाट जिला कोर्ट परिसर के पीछे स्थित है | इस घाट से माँ नर्मदा का दृश्य बहुत हीमनोहारी दिखलाई देता है |
(12) चक्र-तीर्थ घाट- यह घाट मंडला के देवदरा  में स्थित है |
(13) मुक्ति धाम घाट- मंडला में दो मुक्तिधाम घाट है | एक हनुमान घाट के निकट है और दूसरा देवदरा में स्थित है |
(14) दादा-धनीराम महाराजपुर घाट - यह घाट रपटा घाट के सामने है इस स्थान पर दादा-धनीराम महाराज की समाधी है |
(15)बाबा घाट - इस घाट का निर्माण मराठाकाल में किया गया था, संभवतः रूपनाथ झा जो बाद में संयासी हो गये थे के द्वारा इस घाट का निर्माण कराया गया था,

5- गरम पानी कुंड मंडला |  Hot water well Mandla-

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गरम पानी कुंडमंडला के प्रमुख दर्शनीय पर्यटन स्थल और पिकनिक स्पॉट  है |मंडला शहर  से 18 किलोमीटर दूर  ग्राम- बबेहा के पास  मंडला -जबलपुर मार्ग के निकट स्थित यह स्थान पवित्र नर्मदा नदी के किनारे पर स्थित है | माना जाता है की इस स्थान पर परशुराम जी ने तपश्या की थी | इस कुंड में साल भर गर्म पानी रहता है | बरगी डेम के जलभराव के कारण यह कुंड पानी में डूब गया था | शासन द्वारा इस स्थान का पुनः जीर्णोद्धार किया गया है और इस कुंड को पुनः जीवित किया गया | माना जाता है की इस कुंड में स्नान करने से सभी प्रकार के  चर्म रोग ठीक हो  जाते हैं  | वैज्ञानिको के अनुसार इस कुंड के निचे सल्फर की चट्टानें हो सकती है जिस कारण पानी हमेसा गर्म रहता है |

6- संग्रहालय मंडला | Mandla Museum -

 मंडला शहर के बीचो-बीच गायत्री मंदिर के पास सिविल लाइन मंडला में  म.प्र. पुरातत्व विभाग का संग्रहालय स्थित है | यह मंडला शहर के अन्दर घूमने के लिए बहुत अच्छा स्थान है | इस संग्रहालय की स्थापना डॉक्टर धर्मेन्द्र प्रसाद ने कुछ गणमान्य लोगों के सांथ मिलकर 1976 में की थी बाद में मंडला के लोगों के उत्साह को देखते हुय शासन ने संग्रहालय  को अधिग्रहित कर लिया |संग्रहालय में पाषाण की प्रतिमायें ,धातु की प्रतिमायें ,ताम्रपत्र ,अस्त्र-शस्त्र  ,जीवाश्म, ताम्बे के सिक्के, धातु के सिक्के,पांडुलिपियाँ, आदिवासीयों के सांस्कृतिक उपकरण कुल मिलाकर 610 पुरावशेष  संगृहीत करके रखे गए हैं |यहाँ राखी गई सामग्री 7वीं ईसवी से 19 वीं ईसवी के बीच की है |  संग्रहालय में बौद्ध कालीन ,कल्चुरी कालीन , गोंड कालीन कई दुर्लभ प्रतिमायें हैं इन प्रतिमाओं में भगवान गणेश ,भगवान शिव-माता पार्वती  , भगवान विष्णु और भगवान बुद्ध सहित कई दुलभ मूर्तियाँ सहेजकर राखी गई हैं | इसके अतिरिक्त घुघवा के जीवाश्म भी सुरक्षित रखे  गए हैं |यहाँ 1197 ईसवी का कलचुरी नरेश राजा विजयसिंह देव द्वारा प्रदत  ताम्र पत्र भी उपलब्ध है |

7-महाराजपुर का नर्मदा बंजर संगम घाट | Holy Narmda and Banjar Sngam Ghaat-

 
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संगम घाट महाराजपुर मंडला के प्रमुख धार्मिक दर्शनीय स्थलों में एक है |मंडला शहर के महाराजपुर  में  पवित्र नर्मदा नदी और बंजर नदी का संगम स्थल है | इसी स्थान पर माँ नर्मदा की धारा c आकार की दिखलाई देती है | इस स्थान पर प्राचीन  घाट है जिसे संगम घाट कहा जाता है हाल ही में इसक घाट का जीर्णोद्धार किया गया है | बंजर नदी के सामने की ओर  मंडला का किला , इसके एक तट पर  राधा कृष्ण मंदिर और और दूसरे तट पर महाराजपुर का संगम घाट है | इस स्थान प्राचीन काल से ही मंडला,. बालाघाट,सिवनी ,छिंदवाडा ,गोंदिया , महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से  प्रतिदिन सैकडों की संख्या में श्रृद्धालु आते हैं | मंडला, बालाघाट , गोंदिया और आस-पास के जिलों में संगम घाट महाराजपुर का वही धार्मिक महत्व है जो प्रयागराज में गंगा-यमुना संगम घाट का है | संगम घाट मने मृत्यु उपरांत के क्रिया कर्म जैसे मुंडन और अस्थि विसर्जन किये जाते हैं | संघम घाट में  माँ नर्मदा की अथाह जल राशी होने से लोग वोटिंग का भी आनंद लेते हैं | संगम घाट पर  कई प्राचीन मंदिर हैं इनमे सबसे प्रमुख है बूढी माई का मंदिर ,यह अत्यंत सुन्दर मंदिर है जिसमे बूढी माई की अत्यंत  प्राचीन मूर्ति है  |

8- मंडला का किला | Mandla Fort - 

यह मंडला में घूमनें के लिए महत्त्वपूर्ण एतिहसिक स्थल है | मंडला किला निर्माण के पूर्व  रामनगर गोंड राजाओं की राजधानी रही | रामनगर के  महल की  सुरक्षा सिर्फ एक दिशा से  पवित्र नर्मद नदी के कारण हो पाती थी परन्तु यह महल  तीन दिशाओं से नहीं था | हृदयशाह के पोत्र राजा नरेन्द्र शाह के शासन काल  में कई आक्रमण हुए | अपनी सुरक्षा को देखते हुए राजा नरेन्द्र शाह ने मंडला में पवित्र नर्मदा नदी और बंजर के संगम सामने  एक किले का निर्माण करवया यह किला तीन दिशाओं से पवित्र नर्मदा नदी की अथाह जल राशी से घिरा हुआ था और चौथी दिशा में राजा ने एक गहरी खाई खुदवाई  जिसमें मगरमच्छ रखे गए , खाई के दोनों छोर पवित्र नर्मदा नदी से मिले हुए थे इस प्रकार या महल पूरी तरह आक्रमण से सुरक्षित था | किले का निर्माण 1691ईसवी से 1731 के बीच माना जाता है | किले में 11 बुर्ज थे इनमे से अधिकांश बुर्ज या तो नष्ट  हो गए या नष्ट  होने के कगार पर हैं | 1781ईसवी में यह किला मराठों के अधीन आ गया इसके पश्चात 24 मार्च 1818  से 15 अगस्त 1947 तक अंगेजों के अधीन रहा |  इसी किले में राजा रघुनाथ शाह और उनके पुत्र शंकर शाह का जन्म हुआ |  महल अब जर्जर हो चला  है इसके एक बुर्ज की मरम्मत म.प्र. पुरातत्व विभाग द्वारा करवाई गई है | वर्तमान में  किले की अधिकांश  जमीन  पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है | यह  पूरा क्षेत्र मंडला के किलावार्ड के अंतर्गत आता है | महल के बीजो-बीज गोंड राजाओं द्वारा निर्मित राज-राजेश्वरी मंदिर है |  मन्दिर में 18 भुजाओं वाली माता दुर्गा की प्रतिमा है , आज भी यहाँ  प्रतिदिन लोग पूजा अर्चना करते हैं |मंदिर में सभी जातियों के लोग बड़े आदर और श्रध्दा भाव सेआते हैं | 
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9- सूरजकुंड के चमत्कारिक हनुमान जी का मंदिर | Lord Hnuman Temple Surajkund -

मंडला जिले के ग्राम पुरवा  के समीप माँ नर्मदा के तट पर सूरजकुंड नामक स्थान है | माना जाता है की इस स्थान पर  सूर्य देव ने तपस्या की थी और उनकी तपस्या में विघ्न उत्पान ना हो इसके लिये अपने शिष्य  हनुमान जी को आदेशित किया था | तपस्या  उपरान्त सूर्य देव इस स्थान से चले गए परन्तु हनुमान जी को यहीं रहने के लिये कहा | मन जाता है तभी से हनुमान जी यहाँ विराजमान हैं | पहले माँ नर्मदा के तट पर एक कुंड था जिसमें सूर्य देव के दर्शन होते थे परन्तु 1929 की बाढ़ में यह कुंड समाप्त हो गया |   सूरजकुंड में हनुमान जी का भव्य प्राचीन मंदिर है | मंदिर के ऊपर सूर्यभगवान की सात घोड़ों के रथ पर सवार प्रतिमा है और मंदिर के अन्दर  हनुमान जी की चमत्कारिक प्रतिमा विराजमान है  | यहाँ  हनुमान जी की प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है | सुबह 4 बजे से  10 बजे तक हनुमान जी बाल रूप में दिखलाई देते हैं , 10 बजे से शाम  6 बजे तक युवा रूप में और शाम 6 बजे से रात्रि में वृद्ध रूप में दिखलाई देते हैं | यहाँ साल भर धार्मिक कार्यक्रम होते हैं | इस स्थान पर लोग पुरखों का श्राद्ध भी करते हैं |

10-सीता रपटन | Sita Raptan -

 यह स्थान मंडला  शहर से 20 किलोमीटर की दूर अंजनिया के पास  स्थित है | स्थानीय लोगों के अनुसार यह वही स्थान है  जहाँ   लव और कुश का जन्म हुआ था | यहीं बाल्मीकि ऋषि का आश्रम था और इसी स्थान पर महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी | कहा जाता है सीता रपटन में माता सीता जी सुरपन नदी से पानी लेकर आ रही थीं और इसी स्थान पर फिसलकर गिर गई थीं फिसलने को स्थानीय भाषा में रपट भी कहा जाता है , तभी से इस स्थान को सीता रपटना  कहा जाने लगा है | यहाँ चट्टानों के बीच में फिसल पट्टी बनी है | पास ही में चट्टान नुमा पत्थरों को बजाने से नगाड़ों की आवाज आती है , माना जाता है की लव-कुश के जन्म  के समय नगाड़े बजाये गए थे जो अब पत्थर में बदल चुके हैं | यहाँ एक विशेष प्रजाति का पेड़ मौजूद है जिसे अनजान पेड़ के नाम से जाना जाता है , यहाँ कई वनस्पति शास्त्री भी आये पर इस पेड़ का नाम जानने में कामयाबी नहीं मिली | माना जाता है की इसी पेड़ के नीचे महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी |  

11- जोगन झुरी जल प्रपात | Jogan Jhuri Wterfall  Mandla-

जोगन झुरी  मंडला जिले में घूमने और पिकनिक के लिए बहुत अच्छा स्थान है |जोगनझुरी जल प्रपात मंडला जिले के बीजाडांडी विकास खंड से 7 किलोमीटर दूर  मंडला -जबलपुर मुख्य मार्ग के निकट स्थित है | यहाँ एक स्थानीय नाले पर प्राकृतिक रूप से निर्मित झरना है जो 15 फीट की ऊंचाई से गिरता हुआ अति मनमोहक लगता है | यह नाला पहाड़ो से आने वाले पानी से निर्मित होता है जो गर्मी में सूख जाता है | झरने तक जाने के लिये कच्चा मार्ग है | यहाँ प्रतिवर्ष 14 जनवरी मकर संक्रांति को मेला लगता है |
 

 12-अजगर दादर |Ajgar Dadar Mandla -

मंडला जिले के अंजनिया के नजदीक ककैया गाँव के नजदीक लगभग 2 एकड़ में बड़ी संख्या में छोटे-बड़े अजगर पाए जाते हैं इस स्थान को अजगर दादर कहा जाने लगा | अजगर कोल्ड ब्लडेड होते हैं , इस स्थान पर ठंडी  के मौसम में बड़ी संख्या में अजगर धूप  सेंकते हुए मिल जाते हैं , चूँकि अजगर जहरीला नहीं होता इसीलिये गाँव वाले भी इन्हें परेशान  नहीं करते | यहाँ अजगर और इंसानों के बीच अजीब रिश्ता है , यहाँ ग्रामीण अजगरों की सुरक्षा को लेकर बेहद संबेदनशील हैं | माना जाता है की 1926 की बाढ़ में यह स्थान पोला हो गया था जिनमे तरह तरह के जीव जंतु रहने लगे  , इन्ही पोले स्थानों को अजगरों ने भी अपना निवास बना लिया |यह स्थान 2014-2015 के आस -पास वन विभाग के प्रयासों से लोगों के नजर में आया |

13- मटियारी डेम मंडला | Matiyari Dam Mandla - 

मटियारी बांध  मंडला जिले के प्रमुख  पिकनिक स्पॉट में से एक है |बिछिया विकास खंड के अंजनिया के निकट ग्राम सिमरिया के पास स्थित है | मटियारी नदी पर बना यह बाँध 1978 से बनना प्रारंभ हुआ था | मटियारी डैम  की कुल संग्रह छमता 56.8 mcm है  जिससे 14447 हेक्टेयर में सिंचाई होती है | मटियारी डैम  का जलभराव 679 हेक्टेयर है जो देखें मैं बहुत सुन्दर दिखलाई देता है | यह माध्यम दर्जे का बाँध है  | डैम  के दोनों तरफ नहरें निकली हैं | 

14-थान्वर बाँध  बीजेगाँव नैनपुर मंडला  | Thanwar dam Bijegaon , Nainpur Mandla   -

थान्वर बाँध मंडला जिले के घूमने के लिए बहुत अच्छी जगह है | यह डैम  नैनपुर तहसील के बीजेगाँव के अंतर्गत आता है | यह बाँध थान्वर  नदी पर 1980  में बनाया गया था | थान्वर नदी का उद्गम स्थल कान्हा  राष्ट्रिय उद्यान के समीप है |थान्वर डैम मिट्टी से निर्मित डैम है इस बाँध से लगभग 50 गांवों में सिचाई होती है | यह डैम बीजेगांव नमक स्थान पर बना है जिसके कारण पुरे गाँव को दूसरी जगह सिफ्ट किया गया |

15 - मंडला के प्राचीन मंदिर | Mandla Ancient Temple - 

मंडला में कई दर्शनीय प्राचीन मन्दिर हैं |मंडला के इन मंदिरों का निर्माण  कल्चुरी राजाओं , गोंड राजाओं और मराठों के शासन काल में हुआ था | मंडला के  दर्शनीय स्थानों में  प्रमुख है -
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1-नक्खी  माई मंदिर - 

यह मंदिर मंडला शहर से 20 किलोमीटर दूर बकोरी नामक ग्राम में है | यह  मंदिर बकोरी की पहाड़ी पर स्थित है | यहाँ अत्यंत प्राचीन देवी मंदिर है | माना  जाता है की यहाँ मांगी गई  हर मन्नत पूरी  होती है | अंग्रेजी शासन काल में यहाँ के ब्राम्हण परिवार के एक सदस्य को माँ ने पहाड़ी के ऊपर अपनी प्रतिमा होने का स्वप्न दिया और इसे यहीं स्थापित करने का आदेश दिया | तत्पश्चात यहाँ माँ  के मंदिर का निर्माण किया गया | इस स्थान पर चेत्र नवरात्री बड़े धूम-धाम से मनाई जाती है | और यहाँ के जवारे बड़े धूम-धाम से निकाले जाते हैं |

2-राज-राजेस्वारी मंदिर - 

यह मंदिर मंडला शहर  से 1 किलोमीटर दूर मंडला किले में स्थित है | इस मंदिर का निर्माण गोंड राजाओं ने करवाया  जो माता दुर्गा को समर्पित है | मन्दिर में 18 भुजाओं वाली माता दुर्गा की प्रतिमा है , आज भी यहाँ  प्रतिदिन लोग पूजा अर्चना करते हैं | गौंड शासक निजामशाह ने ई़ सन् 1749 से 1779 के मध्य अपने वंश की कुलदेवी राजराजेश्वरी  को बिलासपुर के निकट रंगधर की पहाडी से लाकर इस मंदिर में प्रतिष्ठित किया था, तभी सें गौंड राजकुल की इष्टदेवी के रूप में ‘‘राजराजेश्वरी देवी‘‘ की उपासना हर व्यक्ति करता हैं। मंदिर का शिखर गुम्बदाकार है |मन्दिर वर्गाकार भूखंड पर बना है मंदिर में तीन छोटी-छोटी माडिया बनी हैं | जिनमें माँ नर्मदा ,भगवान विष्णु ,शिवलिंग , सूर्य देव और सहस्त्र बाहू की प्रतिमाएं हैं |राजराजेश्वरी मंदिर के समक्ष व्यास नारायण शिवमंदिर हैं|
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3-  विष्णु मंदिर रामनगर - 

रामनगर स्थित विष्णु मंदिर का निर्माण  1668  में गोंड राजा ह्रदयशाह की पत्नी सुन्दरी देवी ने रामनगर में मोती महल के पास करवया था |मंदिर गुम्बदाकार है | पहले मंदिर के गर्भ गृह में  भगवान विष्णु की प्रतिमा थी परन्तु वर्तमान में मंदिर में कोई प्रतिमा नहीं है |

4-बूढी माई का मंदिर - 

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Budhi mai mandir
यह मंदिर मंडला के महाराजपुर में माँ नर्मदा और बंजर नदी के संगम स्थल पर निर्मित है | यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है मंदिर के गर्भ-गृह में बूढी मई स्थापित है मंदिर के चारो ओर देवी-देवताओं की प्रतिमाये हैं | मंदिर के सामने विशाल शरों की प्रतिमाएं लगी हैं | मंदिर से माँ नर्मदा का बहुत ही सुन्दर दृश्य दिखलाई देता है | समय समय पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम होते रहते हैं | मंदिर के पास नर्मदा परिक्रमा-वासियों के रुकने के लिये बहुत सी धर्म-शालाएं  हैं |

5- हनुमान घाट मंदिर-

  मंडला R.D. कालेज के पास माँ नर्मदा के तट पर सीता-राम बाबा की समाधी है | यहाँ सीता-राम बाबा के समय का मंदिर है जिसमे भगवान् शिव और हनुमान जी का सिद्ध मंदिर है |

6- दादा  धनीराम समाधी स्थल -

 महाराजपुर में रपटा पुल के पास ही दादा धनीराम की समाधी है | कहा जाता है की दादा धनीराम पहले डाक विभाग में कार्यरत थे परन्तु उनका मन माँ नर्मदा की सेवा में लगा रहता था | उन्होंने नौकरी छोड़ माँ नर्मदा की सेवा में अपना जीवन लगाया |उन्हें कई सिद्धियाँ प्राप्त थी | दादा धनीराम के देह त्यागने के बाद इसी स्थान पर उनकी समाधी बनाई गई | उनकी समाधी के पास ही उनके शिष्य की भी समाधी है जो मुख्य रोड से लगी हुई है | दादा धनीराम के भक्त दूर-दूर तक फैले हैं |
 

7- सहस्त्र -धारा शिव मंदिर -

 मंडला से 3 किलोमीटर दूर माँ नर्मदा की सहस्त्र धाराओं के बीच दो शिव मंदिर स्थित  हैं ,जो गोंड-राजाओं द्वारा निर्मित माने जाते हैं | इसने से एक मंदिर माँ नर्मदा के बीचो -बीच टापू पर स्थित है |इस  मंदिर तक जाने के लिये पुल बना है | जबकि दूसरा मंदिर नर्मदा की धारा से कुछ दुरी पर स्थित है दोनों मंदिरों के शिखर  गुम्बदाकार हैं | दोनों के गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित हैं | 
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Sahstra dhara Temple mandla

मंडला कैसे पहुंचें | How to Reach Mnadla-  

मंडला के दर्शनीय पर्यटन स्थलों (Mandla Tourist Places )तक पहुचने के लिये नीचे दिये गए साधन उपलब्ध हैं -
सड़क मार्ग (By Road)- मंडला शहर सड़क मार्ग से जबलपुर, नागपुर ,रायपुर जैसे शहरो से सीधा जुदा है | मंडला से जबलपुर की दूरी- 95 किलोमीटर , नागपुर -250 किलोमीटर और रायपुर- 260 किलोमीटर दूर है |मंडला जिला मुख्यालय से बालाघाट-125 किमी० , सिवनी-125 किमी० , डिंडोरी-105 किमी० दूरी पर है |"
रेल मार्ग (By Train)- - मंडला से निकटतम रेलवे स्टेशन नैनपुर है जो 50 किमी० दूरी पर है , जबकि बड़ा रेलवे स्टेशन जबलपुर-95 किमी० है | मंडला रेल्वे स्टेशन गेज परिवर्तन होने के कारण वर्तमान में निर्माणाधीन है |
वायु मार्ग (By Air)- मंडला से निकटतम एयरपोर्ट जबलपुर है और नागपुर हैं |


मंडला जिले के बारे में और अधिक जानकारी youtube लिंक पर भी प्राप्त कर सकते हैं-
https://youtu.be/e8CEpKCsM3Q

नोट-हमारी वेबसाइट में दी फोटो पर हमारा कॉपीराइट है | हमारी वेबसाइट www.dindori.co.in को क्रेडिट देते हुये (हमारी वेबसाइट को श्रेय देते हुए ) इन फोटो को उपयोग कर सकते हैं | 


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