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Saturday, January 18, 2020

शहडोल जिले के पर्यटन स्थल | Shahdol tourist place in hindi -

 January 18, 2020     जिले के समीपवर्ती पर्यटन स्थल   


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शहडोल जिले के  पर्यटन स्थल | Shahdol tourist place in hindi -

 शहडोल मध्यप्रदेश का एक सम्भाग और जिला मुख्यालय है | शहडोल जिले की स्थापना 1956 में मध्य प्रदेश के पुनर्गठन के सांथ ही की गई थी  | वर्तमान शहडोल जिले का क्षेत्रफल 6205 वर्ग किलोमीटर है और 2011 की जनगणना के अनुसार  शहडोल जिले की जनसंख्या 10,66,063 है | शहडोल जिले में 886 गाँव और 391 ग्राम पंचायत हैं | शहडोल मध्य प्रदेश के उमरिया, अनूपपुर, सीधी, सतना और छत्तीसगढ़ के कोरबा और बिलासपुर जिलों से घिरा हुआ है | शहडोल जिले की समुद्र तट से अधिकतम ऊंचाई 1123 मीटर है | इस जिले की मुख्य नदी सोन नदी और जोहिला है | शहडोल जिला में 6 तहसील -ब्यौहारी , जयसिंघनगर , सोहागपुर, गोहपारु , बुढार, जैतपुर हैं | शहडोल जिले को विभाजित कर 1998  में उमरिया और 2003 अनूपपुर  को जिला बनाया गया |
2008  में शहडोल को सम्भाग ( Division ) बनाया गया | 2008 में  शहडोल सम्भाग के अंतर्गत  जिला- डिंडोरी, जिला- उमरिया और जिला -अनुपपुर आते हैं |   शहडोल जिले में कई घूमने योग्य दर्शनीय और  पर्यटन स्थल हैं  |

शहडोल का इतिहास | Shahdol History  -  

शहडोल जिले का इतिहास  बहुत ही प्राचीन है | इस जिले का  इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है |  कहा जाता है की सोहागपुर और शहडोल का क्षेत्र महाभारत राजा विराट का राज्य क्षेत्र था | इसीलिये शहडोल को विराट नगरी भी कहा जाता है | पांडवों ने यहाँ अज्ञात वास का कुछ समय विताया  था |  तेरहवीं शताब्दी के पहले यह इलाका कल्चुरी राजाओं के अधीन रहा | तेरहवीं शताब्दी  में रतनपुर के कल्चुरी राजा सोमदत्त ने अपनी पुत्री का विवाह बघेल राजा व्याघ्रदेव के पुत्र करण  देव के सांथ तय किया और विवाह के दौरान बांधवगढ़ का दुर्ग  और यह इलाका दहेज़ में दिया | 1808 के आसपास सोहागपुर और बांधवगढ़ का अधिकांश हिस्सा मराठाओं  के कब्जे में रहा और 1826 में अंग्रेजों के  पास चला गया | 1857 के विद्रोह के पश्चात सोहागपुर और अमरकंटक का इलाका रीवा  नरेश को दे  दिया गया | उसके बाद यह क्षेत्र 1947 तक  बघेल शासन के अधीन  रीवा राजाओं के पास रहा | कुछ शासकीय दस्तावेजों के अनुसार शहडोल का  नाम शहडोलवा  अहीर के नाम पर पड़ा | शहडोल जिले के सोहगपुर  में प्रभावशाली अहीर रहता था जिसका नाम शहडोलवा था उसने एक गाँव की नीव रखी थी उसी के  नाम पर यह स्थान शहडोल कहलाने लगा  | स्थानीय लोगों का कहना है कि इस स्थान पर  बहुत अधिक तालाब थे इसी कारण इसे सहस्त्र डोल कहा जाता था सहस्त्र डोल से शहडोल बना |

शहडोल  के   दर्शनीय और पर्यटन स्थल | Shahdol tourist places in hindi-

शहडोल  जिले में घूमने  योग्य कई एतिहसिक ,धार्मिक और प्राकृतिक स्थान हैं जो पर्यटकों और सैलानियों और इतिहासकारों को अनायास ही अपनी और आकर्षित करते हैं | शहडोल के इन  दर्शनीय और पर्यटन स्थलों में  मुख्य हैं-

1-विराट मंदिर सोहागपुर शहडोल | Virat Mandir Sohagpur Shahdol - 

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शहडोल जिले के दर्शनीय पर्यटन स्थलों में प्रमुख  है  सोहागपुर  का   विराट मंदिर  है | विराट मंदिर को विराटेश्वर  मंदिर भी कहा जाता है | विराट मंदिर का निर्माण 950 ईसवी से 1050 ईसवी के बीच कल्चुरी नरेश युवराज देव ने करवाया था | एक  जनश्रुति के अनुसार यह महाभारत काल के राजा विराट की नगरी है | महाभारत काल में पाण्डव यहाँ आये थे | मंदिर के पास ही  बाणगंगा में पातळतोड़ अर्जुन कुंड है | कहा जाता है की इस कुंड का निर्माण महाभारत काल में अर्जुन ने अपने तीर से किया था | अब यहाँ  एक कुंड और बाणगंगा मंदिर है | मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित है शिवलिंग के चारो ओर जलहरी बनी हुई है  | मंदिर के प्रवेश द्वार के पास ही नंदी और सिंह की प्रतिमा है | मन्दिर में भगवान् विष्णु , ब्रम्हाजी , वीणावादिनी और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित है | मंदिर के बाहरी दीवारों पर कुछ  स्थानों पर  पुरुषों और महिलाओं की कामुक प्रतिमाएं है जो देखने में खजुराहो के मंदिर की तरह ही हैं | कहा जाता है की मंदिर के का सामने का हिस्सा गिर गया था जिसे 70 साल पहले रीवा के महाराजा गुलाब सिंह ने ठीक करवाया था | अभी भी मंदिर एक तरफ झुका हुआ दिखलाई देता है | वर्तमान में मन्दिर का रख रखाव पुरातत्व विभाग कर रहा है और मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है |विराट  मंदिर के  पास विवेकानंद गार्डन भी है | बाण गंगा में प्रतिवर्ष  मकर संक्रान्ति को विशाल मेला लगता है |

2-बाणसागर डैम शहडोल | Bansagar Dam Shadol -

 बाणसागर बांध  शहडोल जिले के सबसे प्रमुख दर्शनीय और पर्यटन  स्थलों  में से एक है | शहडोल जिले स्थित   बाणसागर  मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और  बिहार  की एक  बहुउद्देशीय  नदी घटी परियोजना है | बाणसागर परियोजना में सोन नदी पर विशाल बाँध बनाया गया है जो मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के देवलोंद स्थान पर निर्मित है | बाणसागर बांध की आधारशिला 1978 में पूर्व प्रधानमंत्री स्व.श्री मोरारजी देसाई ने राखी थी और  2006 को प्रधानमन्त्री  स्व. श्री  अटल बिहारी बाजपेयी ने इसे देश को समर्पित किया था | सोन नदी पर निर्मित बाँध की ऊंचाई 67 मीटर है | बाँध की  लंबाई 1020 मीटर है  जिसमें 671.71 मीटर पक्का बाँध है  | बाँध के डूब क्षेत्र में 336 गाँव आये थे जिनमे 79 गाँव पूरी तरह डूब क्षेत्र में आये और 257 गाँव आंशिक  रूप से डूबे थे | बाणसागर बाँध का मुख्य उदेश्य खेती हेतु पानी और बिजली का उत्पादन करना  है | बाणसागर से म.प्र. के 2490 वर्ग कि.मी. , उत्तर प्रदेश के 1500 वर्ग की.मी. और बिहार के 940 वर्ग की.मी. की सिंचाई होगी | और इससे 935 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी होगा | बाण सागर शहडोल  से करीब 109 की.मी. और रीवा  से 55 की.मी. दूर है | यह शहडोल जिले का प्रमुख  पिकनिक स्पॉट  है | 

 3-माँ कंकाली देवी मंदिर शहडोल | Kankali mata mandir Shahdol -


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शहडोल जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर अंतरा नामक गाँव में माँ कंकाली देवी का दरवार है जहाँ मातारानी सभी की मनोकामनाओं को पूरा  करती है | माँ कंकाली देवी मंदिर में साल भर भक्तों की भीड़ रहती है | मंदिर के गर्भ गृह में माँ कंकाली, माँ शारदा और माँ  सिंह वाहिनी बिराजमान हैं | कहा  जाता है कि  माँ  कंकाली की प्रतिमा 10-11 वीं सदी  के कल्चुरी कालीन है | माँ कंकाली की प्रतिमा 18 भुजाओं वाली है जिनका मुंह खुला हुआ , गले में मुंडमाला लटकी हैं , शरीर पर स्पष्ट पसलियाँ  होने के कारण माता का नाम कंकाली पड़ा | माता के पेरों के पास योगनियाँ  ,दोनों हांथों  में चंड -मुंड नामक  दैत्य और परम्परागत आयुध धारण किये हुए हैं | माता के दरवार में लाल कपडे में नारियल बाँधने से भक्तों की सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं | माता के दरवार में कई मुख्यमंत्री हाजिरी लगाने आ चुके हैं | नवरात्री में भक्तों की अपार भीड़ रहती है और मंदिर में जवारे रखे जाते हैं और भण्डारों  का भी आयोजन होता है |

 4-क्षीर सागर शहडोल | Ksheer Sagar Shahdol  -

 क्षीर सागर भी शहडोल जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल और पिकनिक स्पॉट में से  एक है |  शहडोल जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर है | इस स्थान पर जोहिला नदी और मुढ़ना नदी का संगम है | जोहिला नदी पवित्र नर्मदा नदी और सोन नदी के बाद अमरकंटक से निकलने वाली तीसरी नदी है जबकि मुढ़ना नदी  शहडोल की एक छोटी नदी है  | चारो तरफ हरियाली से घिरा यह स्थान अनायास ही सैलानियों का मन मोह लेता है | इस स्थान पर संगम स्थल के पास  रेत का विशाल मैदान है जो समुद्र के बीच के सामान दिखलाई देता है |

5-मरखी माता मंदिर जमुनिहा केशवाही | Markhi Mata Mandir Shahdol -  

शहडोल जिले के केशवाही के पास जमुनिहा नामक स्थान पर मरखी माता का प्रसिद्ध मंदिर  है | मरखी माता को  धूमावती माता के नाम से भी जाना जाता  है | इन्हें देवी की 7 वीं विधा माना जाता है | मंदिर में माता की प्राचीन प्रतिमा है | मरखी माता धूमावती के दरवार में भक्तों की सभी मन्नत पूरी होती हैं इसीलिये यहाँ दूर दूर से भक्त आते हैं |  मरखी माता नवरात्री में यहाँ भक्तों की भीड़ देखने लायक होती है | पहले इस स्थान पर माता का बहुत ही छोटी से मढिया थी | 1988 में रामसंजीवन दुबे महाराज ने जिन्हें तनिया महाराज भी कहा जाता था इस स्थान पर मंदिर के अंदरूनी भाग का निर्माण करवाया था |

6-सरफा डैम शहडोल | Sarfa Dam Shahdol -

  सरफा डैम  शहडोल  जिला मुख्यालय से लगभग 15  किलोमीटर दूर है  | यह डैम सरफा नदी पर बना है | इस डैम के निर्माण का उद्देश्य  शहडोल  शहर को पानी की आपूर्ति करना है | डैम के पास बहुत ही सुन्दर गार्डन बनाया गया है | डैम के पास पंप हाउस है | पंप हाउस से कुछ ऊपर फ़िल्टर प्लांट है | डैम से पहले पानी पंप हाउस में जाता है , इसके पश्चात पानी को फ़िल्टर प्लांट भेजा जाता है | पानी के फिल्टर हो जाने के बाद यहाँ से शहडोल  शहर को भेजा  जाता है | डैम के पास का दृश्य बहुत ही मनमोहक है |सरफा डैम शहडोल जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल और पिकनिक स्पॉट में से  एक है | 

7- माता सिंगवाहिनी भटिया | Singhvahini Mata Bhatiya Shahdol - 

शहडोल जिले के  दर्शनीय स्थानों में जैतपुर के पास  भटिया में सिंह वाहिनी माता का मंदिर प्रमुख  है | मंदिर पहले बहुत छोटा था अभी मंदिर का जीर्णोधार किया गया है | मंदिर में माता की प्राचीन प्रतिमा बिराजमान है | मंदिर परिसर में कुछ छोटे-छोटे मंदिर भी हैं | मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं | नवरात्र में भक्तो का भारी भीड़ होती है और मेला भी लगता है | मन्दिर में गणेश जी की प्राचीन प्रतिमा है |
इन स्थानों के अतिरिक्त शहडोल जिले में प्रसिद्ध धनपुरी का ज्वाला मुखी माता मंदिर , बुरहार  का राम जानकी मन्दिर , बुरहार का श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर , ब्योहारी के पास मऊ के चिपाढ नाथ हनुमान जी आदी प्रमुख धार्मिक घूमने योग्य धार्मिक थल हैं |

8-पंचमठा मंदिर सिंघपुर शहडोल  | Panchmatha mandir Shahdol -

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शहडोल जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर  सिंहपुर नामक स्थान पर यह मंदिर स्थित है | लोग इसे पाण्डव  कालीन मंदिर मानते हैं |यहाँ 11 रूद्र शिवलिंग स्थापित थे और लोग 11 मार्ग से इनकी परिकृमा करते थे अब 9 मार्ग ही बचे शेष 2 मार्ग नष्ट  हो गए हैं | औरंगजेब के काल में मंदिर को बहुत नुकसान  पहुचाया गया | मंदिर के दरवाजे पर बहुत ही सुन्दर नक्कासी उकेरी गई है | लगभग 12 वर्ष पहले इस मंदिर पर पुरातव विभाग  ने ताला लगा दिया | मंदिर लगभग 11 वीं सदी का माना जाता है |
पंचमठा  मंदिर परिसर में माँ काली का मंदिर है , आसपास के गाँव के लोग इन्हें कुल देवी मानते हैं शादी का न्योता सबसे पहले माता के दरबार में भेजा जाता है | माता के दरबार में हमेशा भक्तो की भीड़ रहती है  | यहाँ माता काली गणेश जी की योगनियों  के संग माता सरस्वती भी बिराजमान हैं | मंदिर परिसर में राम जानकी मंदिर, शिव मंदिर ,सती  चबूतरा भी स्थापित है | माना जाता है की पहले इस स्थान पर महिलायें सती  होती थीं

  9-लखबरिया गुफा और मंदिर  - 

 लखबरिया गुफा शहडोल जिले के बुढ़हार तहसील के अंतर्गत  लखबरिया नामक स्थान पर बनाई गई हैं |  लखबरिया गुफा एक महत्त्वपूर्ण दर्शनीय  स्थानऔर पर्यटन स्थल है | जनश्रुति के अनुसार पाण्डवों  ने अपने अज्ञातवास का कुछ समय शहडोल जिले में बिताया और अरझुला  क्षेत्र में एक लाख गुफाओं का निर्माण किया  | एक लाख  गुफाओं के कारण इस गुफा का नाम लखबरिया बड़ा| अब यहाँ मात्र 13 गुफाएँ ही शेष बची हैं | कहा जाता है की हर गुफा में एक शिवलिंग है परन्तु अधिकांश गुफाओं के अन्दर का हिस्सा मिट्टी में दब गया है |

10- जिला पुरातत्व संग्रहालय शहडोल District Museum Shahdol -

 शहडोल के जिला पुरातत्व संग्रहालय  की स्थापना 1981 में की गई थी | यह शहडोल शहर के बीचो-बीच गाँधी स्टेडियम के पास कलेक्ट्रेट से कोतवाली मार्ग पर स्थित है | संग्रहालय में शहडोल, अनूपपुर और उमरिया और डिंडोरी  जिले की मूर्तियाँ और कलाकृतियों को सहेज कर रखा  गया है |  यहाँ की कलाकृतियों  में अधिकतर हिन्दू  और जैन धर्म से सम्बंधित हैं | संग्रहालय में तीन दीर्घाएं हैं | संग्रहालय में पूर्व पाषाण ,मध्य पाषाण और नव पाषाण काल में आदि मानव द्वारा उपयोग में लाये गए पत्थर के औजार भी रखे गए हैं | पुरातत्व संग्रहालय शहडोल में लगभग 318 पाषाण प्रतिमाऐं एवं वास्तु शिल्पखण्ड, 143 कलचुरि कालीन रजत मुद्राएं 86 रजत व 3 ताम्र, मुगल कालीन मुद्राऐं, 326 ब्रिटिश कालीन मुद्राएं 21 जीवाश्म है। पुरातत्व संग्रहालय शहडोल में भगवान् शिव , उमा-महेश, गणेश जी की नृत्यरत प्रतिमा, भगवान् विष्णु , नरसिंह देव, बारह अवतार , देवी की कई प्रतिमायें , महावीर स्वामी और तीर्थंकर जी की कई  प्रतिमाऐं रखी हुई हैं | इसके अतिरिक्त यहाँ 6 करोड़ वर्ष पुराने पेड़ पौधों और जीवों के जीवाश्म भी सहेजकर रखे गए हैं |
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11- माता सिंगवाहिनी भटिया वाली जैतपुर - 

शहडोल जिले के जैतपुर के पास  भटिया में सिंह वाहिनी माता का मंदिर है  जो शहडोल जिले का प्रमुख दर्शनीय स्थान है | मंदिर  पहले बहुत छोटा था अभी मंदिर का जीर्णोधार किया गया है | मंदिर में माता की प्राचीन प्रतिमा बिराजमान है | मंदिर परिसर में कुछ छोटे-छोटे मंदिर भी हैं | मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं | नवरात्र में भक्तो का भारी भीड़ होती है और मेला भी लगता है | मन्दिर में गणेश जी की प्राचीन प्रतिमा है |
                       इन स्थानों के अतिरिक्त शहडोल जिले में प्रसिद्ध धनपुरी का ज्वाला मुखी माता मंदिर , बुरहार  का राम जानकी मन्दिर , बुरहार का श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर , ब्योहारी के पास मऊ के चिपाढ नाथ हनुमान जी आदी प्रमुख धार्मिक घूमने योग्य धार्मिक थल हैं |
                       शहडोल जिले के सोहागपुर में मध्य  प्रदेश की सबसे बड़ी में कोयले की खदान हैं | शहडोल जिला और उमरिया जिला की सीमा के समीप शहडोल जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर जोहिला नदी पर स्थित जोहिला जल प्रपात और छोटी-तुम्मी बड़ी बड़ी-तुम्मी पर्यटकों के लिये आकर्षण के स्थान हैं |
शहडोल जिले के निकट विश्व प्रसिद्ध अमरकंटक और बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान ऐसे दर्शनीय पर्यटन स्थान हैं जहाँ पर्यटकों को जरुर जाना चाहिए |  शहडोल जिला से उमरिया और अनूपपुर जिला बनने के पहले अमरकंटक और बांधवगढ़ शहडोल जिले का हिस्सा थे |

शहडोल कैसे पहुंचें | How To Reach Shahdol -

वायु मार्ग -

शहडोल शहर के  सबसे नजदीक एयरपोर्ट जबलपुर का डुमना (एयरपोर्ट ) है जो शहडोल से लगभग 145 किलोमीटर है |

रेल मार्ग -

 शहडोल शहर का रेल्वे स्टेशन देश के अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है |

सड़क मार्ग- 

शहडोल शहर सडक मार्ग से आस-पास के सभी बड़े-छोटे शहरों से भली भांति जुड़ा हुआ है | शहडोल से सड़क मार्ग से अन्य शहरों की दूरी -
(1) शहडोल से जबलपुर-175 किलोमीटर (SH -22 द्वारा ) ,(2) शहडोल से रीवा -168 किलोमीटर (SH -9  द्वारा ), (3) शहडोल से अमरकंटक  -105 किलोमीटर (SH -9 A  द्वारा ), (4 ) शहडोल से बांधवगढ़ -78  किलोमीटर (SH -10  द्वारा ), (5 ) शहडोल से उमरिया - 69 किलोमीटर (SH -43  द्वारा ), () शहडोल से अनुपपुर र- 45 किलोमीटर (SH -43  द्वारा ), (7 ) शहडोल से डिन्डोरी -94  किलोमीटर (SH -22 और SH -09 द्वारा ), (8) शहडोल से सीधी - 163  किलोमीटर (SH -9 और SH -55  द्वारा )

शहडोल जिले केपर्यटन स्थलों के बारे में अधिक जानकारी हमारे Youtube Video  पर भी प्राप्त कर सकते हैं -
लिंक-  https://youtu.be/fBZsbCqlQ7o


शहडोल के समीपवर्ती पर्यटन स्थल -
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