Fossil Park Ghughua Dindori |
घुघवा/घुघुआ फॉसिल नेशनल पार्क-डिंडोरी मप्र | Ghughwa (Ghughua)Fossil Park Dindori MP-
घुघवा/घुघुआ राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान (Ghughwa/Ghughua Fossil National Park) म.प्र . के
डिंडौरी जिले में स्थित है |यहां 6.5 करोड़ वर्ष पुराने जीवाश्म पाये गये हैं ये उसी समय के जीवाश्म हैं जब धरती पर डायनोसोर पाये जाते थे | घुघवा के जीवाश्म पेड़ ,पौधों , पत्ती ,फल, फूल एवं
बीजों से संबंधित है | घुघवा राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान का कुल क्षेत्रफल 0.27
वर्ग किलेमीटर है | घुघवा/घुघुआ के जीवाश्मो की खोज 1970 में की गई थी और 05 मई 1983 को घुघवा को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया | 1998 में
मंडला से डिन्डोरी जिला प्रथक होने के पूर्व घुघवा मंडला जिले में आता था |घुघवा
में अभी तक 31 जेनेरा और 18 फैमिली के जीवाश्म खोजे जा चुके हैं |
ghughwa fossil |
घुघवा/घुघुआ में जीवाश्मों की खोज | Fossils dicovered In Ghughwa/Ghughua-
घुघवा के जीवाश्मो की खोज डॉक्टर धर्मेन्द्र प्रसाद ने की थी | डॉक्टर धर्मेन्द्र प्रसाद उस समय मंडला जिले के जिला सांख्यिकीय अधिकारी एवं पुरातत्व संघ के पदेन सचिव भी थे | डॉक्टर धर्मेन्द्र प्रसाद द्वारा जीवाश्मों की खोज ग्राम सिलठार , ग्राम-घुघवा और आस-पास के क्षेत्रों में की गई | बाद में डॉक्टर एम. बी. बांधे जो बीरवल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ़ पोलियो बॉटनी और डॉक्टर एस. आर. इंगले जो साइंस कॉलेज जबलपुर से जुड़े थे द्वारा इन जीवाश्मों का विधिवत अध्ययन किया |घुघवा राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान –
घुघवा में जीवाश्म संग्राहलय में और खुले में ( मुख्य उद्यान) में सहेजकर रखे गये हैं|पार्क दो हिस्सों में बना है (1) संग्रहालय (2) मुख्य पार्क -
घुघवा जीवाश्म संग्रहालय | Ghughwa fossils Museum-
Dinosaur egg Ghughwa
घुघवा/घुघुआ के संग्रहालय में दुर्लभ जीवाश्मों को
सहेजकर रखा गया है | संग्रहालय के मुख्य गेट पर एक विशाल यूकेलिप्टस का जीवाश्म
रखा है जो बीच से कुछ हिस्सों में टूट चूका है | संग्रहालय के अन्दर डायनोसोर के अंडे का जीवाश्म भी सुरक्षित रखा गया है| संग्रहालय
में पेड़ों के तनो , पत्ती ,फल, फूल एवं
बीजों के जीवाश्मों को कांच के शोकेस में रखा गया है और इन सभी के बारे में
जानकारी दी गई है |पेड़ों के जीवाश्मों के अतिरिक्त यहां खारे पानी के निकट पाए जाने
वाले जीव जैसे सीप,घोंघे के जीवाश्म भी बहुतयात में मिले हैं जिन्हें संग्रहालय में
बहुत अच्छी तरह से संभालकर रखा गया है |
घुघवा मुख्य पार्क | Ghughwa park -
Fossils in Ghughwa |
संग्रहालय से कुछ ही दूरी पर मुख्य
पार्क है जिसमें जीवाश्म खुले स्थानों पर
, जमीन पर रखे हुये और मिट्टी में दबे मिल
जाते हैं | यहां अधिकतर जीवाश्म पेड़-पौधों के तनो के हैं |घुघवा में अभी तक 31 जेनेरा और 18 फैमिली के जीवाश्म खोजे जा चुके हैं | यंहा ज्यादातर जीवाश्म
ताड़ ,जामुन ,केला, रुद्राक्ष , यूकेलिप्टस के हैं जो समुद्र के किनारे मिलते थे ,
जो इस क्षेत्र में नहीं पाये जाते थे | यहां पाये जाने अधिकतर जीवाश्म नारियल प्रजाती के
हैं जो समुद्र के किनारे या किसी बड़े जलाशय के किनारे रहे होंगे |इसके अतिरिक्त यूकेलिप्टस
प्रजाति के जीवाश्म भी बहुतायत में मिलते हैं जो उस समय ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में
पाये जाते थे | 6.5 करोड़ वर्ष पहले इस स्थान पर धूप और बारिस का बोलबाला था |इन जीवाश्मों का मिलना महाद्वीपीय विस्थापन के सिद्धांत के पुष्टि
करता है |
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत | Continental Drift Theory -
महाद्वीपीय विस्थापन का सिद्धांत
सर्वप्रथम फांसीसी वैज्ञानिक एन्टोनियो
स्नाइडर ने में दिया | इसके पश्चात कई वैज्ञानिकों ने अपने अनुसार मत दिये |बाद
में अल्फ्रेड वेगनर महाद्वीपीय विस्थापन का सिद्धांत की
विस्तृत वुवेचना की | वेगनर के मतानुसार पहले संसार के सभी महादेश एक स्थलखंड के
रूप में विद्यमान थे इसे वेगनर ने पैंजिया नाम दिया | पैंजिया का विखंडन गुरुत्वाकर्षण शक्तियों के असामानता, भूकंप और ज्वालामुखी
विस्फोटों के कारण दो भागों में हुआ जिसका उत्तरी भाग लारेंसिया या अंगारालैंड तथा
दक्षिणी भाग गोंडवाना कहलाया | बीच का भाग टेथिस सागर में बदल गया |
भारत ,
ऑस्ट्रेलिया ,मेडागास्कर और अंतर्कटिका ये गोंडवाना के भाग थे | गोंडवाना धीरे –धीरे
टूटने लगा और इसके तुकडे एक दुसरे से दूर खिसकते हुये आज के महाद्वीप बने |लगभग 6.5 करोड़ वर्ष पूर्व भारतीय महाद्वीप भूमध्य रेखा
के पास था | जहां लगातार धूप और वारिस का बोलबाला था | स्थानांतरण के कारण भारत
भूमध्य क्षेत्र से बाहर आ गया और समुद्र से दूर हट गया और हिमालय पर्वत का निर्माण
हुआ |
घुघवा/घुघुआ में जीवाश्म कैसे बने ? How Fossils Were Formed in Ghughwa ? -
Seeds fossils in ghughwa park
उस समय घुघवा समुद्र के किनारे रहा होगा अथवा समुद्र की
कोई साखा यहां तक फैली रही होगी | ये परिवर्तन रह रह कर आने वाले भूकंप , लावा के
सैलाव और ज्वालामुखी विस्फोटों द्वारा विस्फोटों द्वारा परिचालित हुये | लावा और
राख ने बड़े भू-भाग को ढँक लिया और जो जीव-जंतु , पेड़-पौधे इसके नीचे आये वे
जीवाश्म बन गये | और आज घुघवा और आस-पास के क्षेत्रों में मिल रहे हैं|
घुघवा/घुघुआ पार्क पहुँच मार्ग | How to Reach Ghughwa park -
घुघवा राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान (Ghughwa Fossil National Park) जबलपुर अमरकंटक हाईवे पर स्थित शाहपुरा शहर से 14 किलोमीटर दूर शाहपुरा-निवास मुख्य मार्ग पर स्थित है |यह मार्ग कान्हा राष्ट्रीय उद्यान और बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान को जोड़ता है | घुघवा राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान पहुँचने के लिए निकटतम एयरपोर्ट जबलपुर 105 कि.मी. है | जबकि निकटतम रेल्वे स्टेशन उमरिया -70 कि.मी है | यंहा से सड़क मार्ग द्वारा मंडला,जबलपुर, शहडोल,अमरकंटक, के लिए अच्छी कनेक्टिविटी है |वायु मार्ग द्वारा –
निकटतम एयरपोर्ट जबलपुर 105 कि.मी. |रेल द्वारा –
निकटतम रेल्वे स्टेशन उमरिया 70 कि.मी. , जबलपुर 105 कि.मी. |सड़क मार्ग -
घुघवा राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान(Ghughwa Fossil National Park) की जिला मुख्यालय डिन्डोरी से दूरी 80 किमी. ,मंडला से 80 किलोमीटर , जबलपुर से 105 किलोमीटर , अमरकंटक से दूरी 165 किलोमीटर है |कान्हा टाइगर राष्ट्रीय उद्यान 160 किलोमीटर तथा बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान भी 100 किलोमीटर की दूरि पर स्थित है |ghughwa fossils national park |
घुघवा राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान (Ghughwa/Ghughua Fossil National Park) के बारे में और अधिक जानकारी नीचे दिए गए youtube लिंक पर भी प्राप्त कर सकते हैं-
link- https://youtu.be/K4zCCrHH7Ak
नोट-हमारी वेबसाइट में दी गई जानकारी और फोटो पर हमारा कॉपीराइट है | हमारी वेबसाइट www.dindori.co.in को क्रेडिट देते हुये (हमारी वेबसाइट को श्रेय देते हुए ) इन फोटो को उपयोग कर सकते हैं |