
बिरासिनी माता मंदिर बीरसिंहपुर पाली | birasini mata mandir birsinghpur pali-
बिरासिनी मंदिर में आदिशक्ति स्वरूपा बिरासिनी माता की 10 वीं सदी की कल्चुरी कालीन काले पत्थर से निर्मित भव्य मूर्ति विराजमान है | यह पूरे भारत में माता काली की उन गिनी चुनी प्रतिमाओं में से एक है जिसमें माता की जिव्हा ( जीभ) बाहर नहीं है | मंदिर के गर्भ गृह में माता के पास ही भगवान् हरिहर बिराजमान हैं जो आधे भगवान् शिव और आधे भगवान् विष्णु के रूप हैं | मंदिर के गर्भ गृह के चारो तरफ अन्य देवी देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं | मंदिर परिसर में राधा-कृष्ण , मरही माता, भगवान् जगन्नाथ और शनिदेव के छोटे-छोटे मंदिर भी स्थित हैं | मंदिर सफेद संगमरमर से निर्मित है |माता की अलौकिक शक्तियों के कारण लोगों की मनोकामनाएं हमेशा पूरी होती हैं और यहां साल भर लोगों की भीड़ रहती है |![]() |
Bhagvan Harihar Birsinghpur Pali |
बिरासिनी माता मन्दिर से जुडी मान्यता -
मान्यतानुसार बिरासिनी माता ने सैंकड़ों वर्ष पूर्व पाली निवासी धौकल नामक व्यक्ति को सपना दिया कि उनकी मूर्ति एक खेत में है जिसे लाकर नगर में स्थापित करो | धौकल नामक व्यक्ति ने मूर्ति लाकर एक छोटी सी मढिया बनाकर माता को बिराजमान कराया | बाद में नगर के राजा बीरसिंह ने एक मंदिर का निर्माण कराकर माता की
स्थापना की |
बिरासिनी माता मंदिर का पुनर्निर्माण | Rebuilding Of Birasini Mata Temple -
बीरसिंहपुर पाली बिरासिनी माता के प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण का प्रारंभ जगतगुरु शंकराचार्य द्वारका शारदा पीठाधीश्वर स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी के पावन करकमलों द्वारा माघ शीर्ष कृष्ण पक्ष गुरुवार विक्रम संवत २०४६ ( दिनांक 23 नवम्बर 1989 ) को किया गया और बीरसिंहपुर कालरी /SECL/सभी दानदाताओं के सहयोग से लगभग सत्ताईस लाख रूपये में माता के संगमरमर के भव्य मंदिर पूर्ण हुआ | मंदिर का वास्तुचित्र , वास्तुकार श्री विनायक हरिदास NBCC नई दिल्ली द्वारा निशुल्क प्रदान किया गया | बिरासिनी माता देवी मंदिर का जीर्णोद्धार का समापन कार्यक्रम , पुनः प्राण प्रतिष्ठा, कलश शिखर प्रतिष्ठा गुरूवार वैशाख शुक्र सप्तमी संवत् २०५६ (22 अप्रेल 1999 ) जगतगुरु शंकराचार्य पुरी पीठाधीश्वर स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी के शुभाशीष से संपन्न हुआ |
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Birsinghpur Pali Birasini Mata Mandir |
माता बिरासिनी देवी के मंदिर परिसर में दो मुख्य प्रवेश द्वार है और एक द्वार पीछे के तरफ है | मंदिर पूरी तरह संगमरमर से निर्मित है | मंदिर के गर्भ गृह में माता बिरसिनी (काली माता) बिराजमान हैं | मंदिर के गर्भ गृह के चारो तरफ अन्य देवी देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर भी हैं | मंदिर के बाजू में मुंडन स्थल है | मुंडन स्थल के सामने ज्योति कलश स्थल है जो एक विशाल तलघर रूपी हाल है जिसमें नवरात्र में लोगों द्वारा हजारों घी और तेल के ज्योति कलशों की स्थापना की जाती है | मंदिर परिसर में ही मंदिर का समिति कार्यालय , छोटी धर्मशाला और भण्डारा स्थल है |
नवरात्र और जवारा विसर्जन |Navratra And Javara Visharjan Pali -
बीरसिंहपुर पाली बिरासिनी माता के मंदिर में वर्ष में दो बार शारदेय और चैत्र में नवरात्र पूजा बड़े ही धूम-धाम से मनाई जाती है | जिसमें ना केवल आस-पास के लोग अपितु देश-विदेश से लोग अपनी मनोकामनायें मांगने के लिए आते हैं और मनोकामनायें पूरी होने पर विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान भी करते हैं | नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है | यहां हजारों कि संख्या में घी,तेल और जवारे के कलश स्थापित किये जाते हैं | ज्योति कलश हेतु एक विशाल हाल की व्यवस्था है | जवारे हेतु दो मंजिला व्यवस्था की जाती है | श्रध्दालुओं द्वारा मनोकामना कलश स्थापित करने हेतु मंदिर प्रबंध संचालन समिति द्वारा बहुत अच्छी व्यवस्था की जाती है जिसमेंकोई भी व्यक्ति निश्चित राशि जमा करके घी जवारे कलश, तेल जवारे कलश , मनोकामना कलश,आजीवन घी जवारे कलश ,आजीवन तेल जवारे कलश स्थापित कर सकते हैं | पूरे नवरात्र में मंदिर परिसर में बच्चो के मुंडन , कर्ण छेदन की व्यवस्था की जाती है | सांथ ही मंदिर समिति और अन्य लोगों द्वारा भण्डारे भी करवाये जाते हैं और पुरे नौ दिन माता का श्रृंगार , भोग ,पूजा अर्चना बड़े ही श्रध्दा भक्ति से की जाती है | माता बिरासिनी के दरवार सोने-चांदी के जेवरात सहित लाखो का चढ़ावा चढ़ाया जाता है |
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Birsinghpur pali mandir |
बिरासिनी माता के जवारे विसर्जन बहुत ही प्रसिद्ध है जिसमें हजारों के संख्या में महिला/पुरुष जवारे विसर्जन में सम्मिलित होते हैं |
बीरसिंहपुर पाली कैसे पहुंचें | How to Reach Birsinghpur Pali -
रेल मार्ग- बीरसिंहपुर पाली बिलासपुर – कटनी ट्रेन रूट पर स्थित है | बीरसिंहपुर पाली स्टेशन से बिरसिनी माता मंदिर की दूरी 1/2 (आधा) किलोमीटर है |
सड़क मार्ग- बीरसिंहपुर पाली की सड़क मार्ग से जिला मुख्यालय उमरिया से दूरी- 40 किमी० ,शहडोल से दूरी- 38 किमी० ,नौरोजाबाद से -9 किमी० , डिन्डोरी से 77 किमी० , जबलपुर से 150 किमी० , अमरकंटक और बांधवगढ़ से दूरी क्रमशः 70 किमी० और 144 किमी० है |
वायु मार्ग- निकटतम एयरपोर्ट जबलपुर 150 किलोमीटर है |