Kukarramath dindori |
कुकर्रामठ मंदिर डिन्डोरी | Kukarramath temple dindori -
कुकर्रामठ मंदिर (Kukarramath temple) को ऋणमुक्तेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है | यहाँ मंदिर डिन्डोरी जिला मुख्यालय से 14 कलोमीटर दूर है | डिन्डोरी से अमरकंटक मुख्य मार्ग से 10 कि.मी. दूर मुख्य मार्ग से और 4 कि.मी. अन्दर जाने पर कुकर्रामठ गाँव में यह मंदिर स्थित है | यह मंदिर भगवान् शिव को समर्पित है | कहा जाता है कि इस मंदिर में पूजा-पाठ और दर्शन से पितृ-ऋण ,देव-ऋण ,और गुरु-ऋण से मुक्ति मिलती है | आस-पास के लोग और अधिकांश नर्मदा परिक्रमा वासी मंदिर के दर्शन करने अवश्य आते हैं |कुकर्रामठ मंदिर के बारे में | About Kukarramath temple -
कुकर्रामठ मंदिर भगवान शिव का मंदिर है |
इस मंदिर का निर्माण 1000 ईसवी के आस-पास माना जाता है |कुछ लोग इसे 8 वीं सदी का
मानते है | एक मान्यतानुसार यह मंदिर कल्चुरी कालीन है , यहां 6 मंदिरों का समूह था
परन्तु मौसम और समय के प्रतिकूल प्रभावों से सभी खंडहर हो गये | मंदिर एक विशाल
चबूतरे पर बना है | मंदिर के गर्भ गृह में विशाल शिव-लिंग विराजमान है | मंदिर के मुख्य द्वार के सामने
नंदी की प्रतिमा है |मंदिर में तीनो ओर प्रकोष्ठ बने है जिनमें संभवतः कभी
मूर्तियाँ रही होंगी |मंदिर की दीवारों पर मूर्तियाँ बनी हैं | मंदिर प्राचीन काल
का होने के कारण अधिकांश मूर्तियों का छरण हो गया है परन्तु कुछ मूर्तियाँ आज भी सुरक्षित
हैं | ग्रामवासी मंदिर में आकर पूजापाठ करते हैं | शिवरात्रि में यंहा विशाल मेला
लगता है |डिन्डोरी जिले कि सबसे प्राचीन मड़ई
भी यंही लगती है | पुरातत्व विभाग वद्र नियुक्त केयर टेकर श्री पांडे जी ने बलताया की पहले इस स्थान पर 12 मूर्तियाँ थीं जिनमे भगवान विष्णु ,भगवान हनुमान ,महावीर स्वामी , गौतम बुद्ध , शेर और कुत्ते की पर्तिमायें थीं | इनमे से कुछ प्रतिमाएं अमरकंटक संग्रहालय में जमा हैं और कुछ प्रतिमाएं कुकर्रामठ मंदिर के पास की सुरक्षित रख दी गई हैं | इन सभी प्रतिमाओं को पुनः स्थापित करने के प्रयास किये जा रहे हैं | इन प्रतिमाओं से प्रतीत होता है की इस स्थान पर हिन्दू , जैन और बौद्ध धर्म के मंदिरों का समूह रहा होगा |
KUKARRAMATH DINDORI |
कुकर्रामठ मंदिर का रखरखाव | Maintanance of Kukrramath Temple -
मंदिर का रख रखाव म.प्र. पुरातत्व विभाग करता है | यहां पुरातत्व विभाग का नोटिस बोर्ड भी लगा है | पुरातत्व विभाग द्वरा इसे प्राचीन स्मारक पुरातत्वीय स्थल सुरक्षा 1958 के अंतर्गत मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है | मंदिर के पास ही पुरातत्व विभाग का शिलालेख लगा है जिसमे मंदिर के इतिहास ही जानकारी दी गई है | पुरातव विभाग द्वारा मंदिर की सुरक्षा के लिए चारो और दीवार बना दी गई है | सर्वप्रथम1904 में अंग्रेजों द्वारा मंदिर के संरक्षण का प्रयास किया गया | इसके पश्चात 1971 भारत सरकार द्वरा पुनः इसकी मरम्मत करवाई गई | 2010 में भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा मंदिर के चारो और सुरक्षा दीवाल को ऊँचा किया गया और मंदिर के सामने की जगह पर पत्थर की चीप लगवाई गई |कुकर्रामठ मंदिर से प्रचलित मत -
(1)कुकर्रामठ मंदिर से सम्बंधित कई मत प्रचलित हैं मान्यतानुसार कल्चुरी नरेश कोकल्यदेव के सहयोग से तात्कालीन शंकराचार्य ने गुरुऋण से मुक्त होने के लिये इस मंदिर का निर्माण कराया इसीलिए इस मंदिर को ऋणमुक्तेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है | उस समय यहाँ 5 से 6 मंदिरों का समूह था | परन्तु रख-रखाव के अभाव में सभी खंडहर हो गये | जिनके अवशेष मंदिर के पास मिल जाते हैं |Kukrramatha mandir shivling |
यंहा
लोगों का मानना है कि पागल कुत्ते के काटने पर
इस प्रतिमा के पत्थर को घिसकर पिलाने से कुत्ते के काटने का जहर समाप्त हो जाता है | चूंकि लोगों द्वारा लगातार इस प्रतिमा को नुकसान पहुँचाया जा रहा था इसी कारण पुरातत्व विभाग ने इस मूर्ति को अमरकंटक संग्रहालय में जमा करवा दिया गया अब पुनः इस प्रतिमा को जल्द ही स्थापित किया जाने का प्रयास किया जा रहा है |
(3) तीसरे
मत के अनुसार इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वरा अज्ञात वास के समय एक रात्रि में किया
गया |शिखर निर्माण के पहले सूर्योदय हो जाने के कारण शिखर निर्माण पूरा नहीं हो
सका जो आज भ अधूरा है |
इन मतों
के अतिरिक्त भी अन्य मत प्रचलित हैं |
Kukrramath mandir |