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Saturday, February 23, 2019

अमरकंटक म.प्र.- माँ नर्मदा उद्गम स्थल | Amarkantak mp - Ma Narmda Udgam Sthal

 February 23, 2019     जिले के समीपवर्ती पर्यटन स्थल   

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अमरकंटक म.प्र. - माँ   नर्मदा  उद्गम स्थल   | Amarkantak  mp -  Ma Narmda Udgam Sthal -

अमरकंटक (Amarkantak) मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ तहसील में स्थित  हिन्दुओं का  पवित्र तीर्थ स्थल है | अमरकंटक (Amarkantak) को तीर्थ राज भी कहा जाता है | अमरकंटक मेकल पर्वत पर बसा हुआ है यहां विंध्य और सतपुड़ा पर्वतों का मेल होता हैं | अमरकंटक में पवित्र नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है इसके अतिरिक्त  यह सोन  नदी और जोहिला नदी  का उद्गम स्थल भी है  | माँ नर्मदा अमरकंटक से निकलने के बाद 1312 किलोमीटर (815 मील )की दूरी तय मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होते हुए खम्बात की खाड़ी में मिल जाती है | पवित्र नर्मदा नदी पश्चिम की तरफ और सोन नदी पूर्व दिशा में बहती है | माँ नर्मदा को भगवन शिव की  पुत्री माना जाता है जिसे रेवा  भी कहा जाता है | विश्व में पवित्र नर्मदा नदी ही एक मात्र नदी है जिसकी परक्रमा की जाती है | इस क्षेत्र में भगवन शिव ,भृगु ऋषि , दुर्वासा ऋषि और कपिल मुनि ने तपस्या की थी | अमरकंटक तीर्थ स्थान और सिद्धक्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है | यहां साल भर लाखो तीर्थ यात्री दर्शन करने आते है | पुराणों में बार बार अमरकंटक (Amarkantak) का उल्लेख मिलता है| अमरकंटक को आम्रकूट भी कहा जाता था | अमरकंटक जितना तीर्थ स्थल के लिए प्रसिद्ध है उतना ही एक हिल स्टेशन के रूप में अपनी प्रकृतिक सुन्दरता के लिए भी जाना जाता है | यहां का पवित्र शांत वातावरण और प्राकृतिक सुन्दरता सैलानियों  को मंत्रमुग्ध कर देती है | अमरकंटक (Amarkantak) चारों तरफ से साल (सरई )  के जंगलों से घिरा हुआ है  जो वर्ष भर हरे भरे रहते हैं | अमरकंटक प्राकृतिक धरोहरों से भरपूर है , यहां के जंगलों में हजारो प्रकार के  आयुर्वेदिक पौधे पाये जाते हैं | अमरकंटक मध्यप्रदेश के अनूपपूर जिले के छोर पर बसा है ,जो मध्यप्रदेश के डिन्डोरी जिले को और छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की सीमाओं को छूता है | अमरकंटक में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्विद्यालय भी है |

 अमरकंटक का मौसम | Amarkantak Weather -

अमरकंटक का तापमान (Amarkantak Temperature) शीत ऋतु में 0° से 20° तक और ग्रीष्म ऋतु में 25° से 35° के बीच रहता है | अमरकंटक के समुद्रतट से  औसत  ऊंचाई 1048 मीटर ( 3438 फीट) है | अमरकंटक अक्षांश  22.67°N और देशांतर 81.75° E में बसा हुआ है |

अमरकंटक का इतिहास | History Of Amarkantak –

अमरकंटक का इतिहास बहुत पुराना है यहां भगवान शिव ने तपस्या की थी , पवित्र नर्मदा के उत्पति भी भगवन शिव के कंठ से मानी जाती है | अमरकंटक में कपिल मुनि ने भी घोर तपस्या की थी, कपिल मुनि के नाम पर ही एक जलप्रपात का नाम कपिल धारा है | यह क्षेत्र भृगु ऋषि , दुर्वासा ऋषि  की तपभूमि भी रहा  है | शंकराचार्य ने यहां ध्यान किया था  | कबीर दास ने भी यहां बाद वृक्ष के नीचे ध्यान किया था उस स्थान को कबीर चबूतरा कहा जाता है | बाद में यहां कई राजवंशों ने शासन किया है जिनमे कल्चुरी शासक प्रमुख हैं , इसके अतिरिक्त रीवा के शासकों का भी उल्लेख मिलता है , विभिन्न समयों पर अलग-अलग शासकों द्वारा बनवाये गये मंदिर इसका प्रमाण देतें है | 1000 ईसवी के आस-पास कल्चुरी शासकों द्वारा बनवाये गये मंदिरों को पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है |

अमरकंटक के मंदिर और दर्शनीय स्थल | Amarkantak Temple and Tourist place –

(1) माँ नर्मदा उद्गम कुंड (स्थल) | Ma Narmda Udgam Kund (Sthal) Amarkantak -

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पवित्र अमरकंटक में माँ नर्मदा का उद्गम स्थल है | मेकल पर्वत से निकलने के कारण  नर्मदा को मेकलसुता भी कहते है | कहा जाता है कि पहले उद्गम कुंड  चारो ओर से बांस से घिरा था बाद में यंहा पक्के  कुंड का निर्माण कराया गया |  इस कुंड के नीचे एक छोटा कुंड है | पहले मुख्य कुंड में स्नान किया जाता था और दूसरे छोटे कुंड का निर्माण स्नान पश्चात कपड़े धोने के लिए किया गया था | परन्तु अब इन दोनों कुंडों में स्नान करना व कपडे धोने की मनाही है | लोगों के नर्मदा स्नान के लिए इन दोनों कुंडों के नीचे की और दो कुंड और बनाये  गये हैं जिनमें स्नान किया जा सकता है  | यहां  से माँ नर्मदा एक छोटी सी धारा के रूप में बहती हैं जो आगे जाकर विशाल रूप धारण कर लेती है | परिसर के अन्दर ही अन्दर माँ नर्मदा की एक छोटी सी धारा मुख्य कुंड से दूसरे कुंड में जाती है जो दिखलाई नहीं देती है | नर्मदा परिकृमा  वासियों के लिए अलग प्रवेश द्वार है | कुंड के चारो ओर लगभग चौबीस  मंदिर बने हैं जिसमे नर्मदा मंदिर ,शिव मंदिर ,कार्तिकेय मंदिर, श्री राम जानकी मंदिर ,अन्नपूर्णा मंदिर ,दुर्गा मंदिर, श्री सूर्यनारायण मंदिर श्री राधा कृष्णा मंदिर , शिव परिवार ,ग्यारह रूद्र मंदिर प्रमुख  हैं | शाम को उद्गम कुंड में माँ नर्मदा की भव्य आरती होती है | मंदिर परिसर में काले हांथी की  मूर्ति है जिसे औरन्गजेब  के शासन काल में खंडित कर दिया गया | आज भी लोग इस हांथी के प्रतिमा के नीचे से निकलकर पाप पुण्य के परीक्षा देते हैं और माँ नर्मदा कोप्रणाम करते है |
   माना जाता है कि पहले इस स्थान पर बॉस का झुण्ड था जिससे माँ नर्मदा निकलती थीं बाद में बाद में रेवा नायक द्वारा इस स्थान पर कुंड का निर्माण करवाया गया | स्नान कुंड के पास ही रेवा नायक की प्रतिमा है | रेवा नायक के कई सदी पश्चात् नागपुर के भोंसले राजाओं ने उद्गम कुंड और कपडे धोने के कुंड का निर्माण करवाया था | माना जाता है कि 1939 में रीवा के महाराज गुलाब सिंह ने माँ नर्मदा उद्गम कुंड ,स्नान कुंड और परिसर के चारो ओर घेराव का निर्माण मुस्लिम कारीगरों द्वारा करवाया गया |  

 (2) कल्चुरी कालीन मन्दिर | Kalchuri Temple Amarkantak-

Karn Mandir Amarkantak
Karn Mandir Amarkantak
अमरकंटक के इन मदिरों का निर्माण कल्चुरी नरेश कर्णदेव 1041-1073 ई. के दौरान करवाया था | नर्मदा कुंड के समीप दक्षिण में कल्चुरी काल के मंदिरों का समूह है -
(अ) कर्ण मन्दिर - 3 गर्भ गृह वाला मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है | परिसर में प्रवेश करते  ही पंच मठ दिखलाई देते हैं | यह मंदिर बंगाल और आसाम के मंदिरों की तरह दिखलाई देता है |
(ब) मच्छेन्द्रनाथ मन्दिर – यह मंदिर कर्ण मंदिर के उत्तर में स्थित है | 16 स्तम्भो पर आधारित मंडप दर्शनीय है | इसका शिखर कलिंग शैली में बना प्रतीत होता है |
(स )पातालेश्वर मन्दिर – इस मंदिर का आकार पिरिमिड  जैसा है , जो पंचरथ नागर शैली में बना है |
(द) केशव नारायण मन्दिर – इस मंदिर में भगवान केशव की काले पत्थर से निर्मित अत्यंत सुन्दर प्रतिमा है | इस मंदिर में भगवन विष्णु की चतुर्भुजी प्रतिमा है | मूर्ति के चारो ओर दस अवतारों कि प्रतिमा है |
इसी परिसर में एक जल कुंड भी है कहा जाता है कि इसे शंकराचार्य जी ने बनवाया था | इन सभी मंदिरों की देखरेख पुरातत्व विभाग करता है |

 (3) माई की बगिया अमरकंटक  | Mai ki Bagiya Amarkantak -

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Mai Ki Bagiya Amarkantak

 

यह स्थान अमरकंटक में नर्मदा उद्गम कुंड से 1 किलोमीटर की दूरी पर है , कहा जाता है कि भगवान शिव की पुत्री नर्मदा यहीं से अपने लिए पुष्पों को चुनती थीं | यहां आम, केले और बहुत से सुन्दर फूलों के पेड़-पौधे लगें है |इस स्थान पर गुलबाकावली के पौधे पाये जाते है जिससे नेत्र रोगों के लिए औषधि बनाई जाती है | पुराणों में कहा गया है कि बचपन में  गुलबाकावली , माँ नर्मदा की सहेली थीं  | प्राचीन काल में गुलकाबली का पौधा सिर्फ माई की बगिया में मिलता था परन्तु अब गुलबाकावली पूरे अमरकंटक क्षेत्र में लगाया जाने लगा है | यहां पास में ही एक कुंड है जिसमें सालभर पानी रहता है |

(4) सोनमुडा अमरकंटक | Sonmuda Amarkantak -

 
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अमरकंटक का यह स्थान सोन नदी का उद्गम स्थल है | सोन नदी के उद्गम स्थल के पास ही भद्र का उद्गम स्थल है | थोड़ी ही दूर पर दोनों का संगम कुंड है | यही कारण है की इसे ''सोन- भद्र'' कहा जाता है | सोन को ब्रम्हाजी का मानस पुत्र कहा जाता है | यह स्थान नर्मदा उद्गम स्थल से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है | यहां सोन-भद्र  100 फीट की पहाड़ी से एक झरने के रूप में गिरते हैं |यह स्थान मेकाल पर्वत की पहाड़ियों पर स्थित है | यह स्थान अपने अदभुत  प्राकृतिक सोंदर्य के लिये जाना जाता है|
माना जाता है कि सोनभद्र जलप्रपात से गिरने के पश्चात और धरती के अन्दर ही अन्दर 60 किलोमीटर दूर ''सोनबचरबार'' नामक स्थान पर पुनः प्रकट होते हैं और आगे जाकर गंगाजी में विलीन हो जाते हैं | माना जाता है कि सोन की जल-धारा में आज भी स्वर्ण-कण मिलते हैं |

(5) कपिलधारा प्रपात अमरकंटक  | Kapil Dhara Waterfall Amarkantak –
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Kpildhara faal Amarkantak

 कपिल धारा पवित्र नर्मदा नदी का पहला जलप्रपात (वाटरफाल) है | अमरकंटक में यह पवित्र नर्मदा उद्गम कुंड से  6 किलोमीटर दूर है | इस जलप्रपात में पवित्र नर्मदा जल 100 फीट की ऊंचाई से  पहडियों से नीचे  गिरता है |  कपिल धारा  के पास ही कपिल मुनि का आश्रम है | कहा जाता है कि कपिल मुनि ने  यहीं कठोर तप किया था और यहीं  सांख्य दर्शन कि रचना की थी | उन्ही के नाम पर इस जलप्रपात का नाम कपिल धारा पड़ा | कपिलधारा के पास ही कपिलेश्वर मंदिर है | इसके आस पास अनेक गुफायें है जहां साधू-संत ध्यान मुद्रा में देखे जा सकते हैं| कपिलधारा में माँ नर्मदा का एक छोर डिंडोरी जिले में और दूसरा छोर अमरकंटक में आता है |

(6 ) दूधधारा प्रपात अमरकंटक | Doodh-Dhara Waterfall Amarkantak –

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Amarkantak Doodh Dhara

  अमरकंटक के पास यह प्रपात कपिल धारा से  1 किलोमीटर नीचे जाने पर मिलाता है | इसकी ऊंचाई 10 फुट है | कहा जाता है यहां दुर्वासा ऋषि ने तपस्या की थी | इस प्रपात को दुर्वासा धारा भी कहा जाता है | यहां पवित्र नर्मदा जल दूध के समान सफेद दिखाई देता है इसीलिये इस प्रपात को दूधधारा कहा जाता है |

(7) श्री ज्वालेश्वर मन्दिर अमरकंटक | Shri Jwaleswar Temple Amarkantak -   

यह मंदिर अमरकंटक - शहडोल रोड पर 8 किलोमीटर दूर है |यहीं से अमरकंटक की तीसरी  नदी जोहिला की उत्पत्ति हुई है | यहां भगवन शिव का सुन्दर मन्दिर है माना जाता है कि यहाँ स्थित  शिवलिंग स्वयं भगवान शिव ने स्थापित  किया था , पुराणों  में इस स्थान को महारुद्र मेरु कहा गया है | यहां भगवन शिव ने माता पार्वती के सांथ निवास किया था | माना जाता है कि जालेश्वर महादेव के पूजन से मनुष्य ब्रम्ह हत्या से छुटकारा मिल जाता है |  पास में ही सनसेट पॉइंट भी है |

(8 ) जैन मन्दिर अमरकंटक | Jain Temple Amarkantak –

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अमरकंटक का यह मंदिर अदभुत वास्तुकला का नमूना है | यह एक विशाल जैन मंदिर है , इसका निर्माण पत्थरों से किया गया है | मंदिर के गर्भ गृह में  भगवान आदिनाथ की प्रतिमा स्थापित है  जिसका वजन 24 टन  के करीब है | भगवान आदिनाथ अष्ट धातु के कमल सिंघासन पर विराजमान है कमल सिंघासन का बजन 17 टन  है इस प्रकार इस प्रकार प्रतिमा और कमल सिंघासन का कुल बजन 41 टन है | प्रतिमा को मुनिश्री विद्यासागर जी महाराज ने 06 नवम्बर 2006 को विधि विधान से स्थापित किया |मंदिर का निर्माण कार्य अभी भी चल रहा है |

 (9) श्रीयंत्र महामेरु मंदिर | Shriyantra Mahameru Temple Amarkantak–

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 अमरकंटक का यह मंदिर नर्मदा कुंड से 1 किलोमीटर दूर सोनमुड़ा मार्ग पर स्थित है, यह घने जंगलों से घिरा है |  मंदिर का निर्माण सुकदेवानंद जी महराज द्वारा कराया जा रहा है | इस मंदिर की आकृति श्रीयन्त्र जैसी है , इसका निर्माण भी विशेष मुहूर्त में किया गया है | अमरकंटक के श्रीयंत्र महामेरु मंदिर के लम्बाई ,चौड़ाई, ऊंचाई 52 फुट है |

 (10) धुनी पानी अमरकंटक  | Dhuni Paani Amarkantak –

अमरकंटक में नर्मदा मंदिर से 4  किलोमीटर दक्षिण में धुनी पानी नामक तीर्थ है | कहा जाता है कि एक बार एक ऋषि तपस्या कर रहे थे पास ही उनकी धुनी जल रही थी , तभी धुनी वाले स्थान से पानी निकला और धुनी को शांत कर दिया तभी से इस स्थान का नाम धुनी पानी पड़  गया |आज भी यहां एक कुंड और बागीचा है | यहां  नर्मदा परिक्रमा वासियों के लिए आश्रम की व्यवस्था है ,जहां वे रुक सकते हैं | माना जाता ही कि इस कुंड का पानी औषधीय गुणों से संपन्न है | इसके पानी में स्नान करने से असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं |

 (11) अमरेश्वर महादेव मंदिर |Amreswar Mahadev Temple-

यह मंदिर अमरकंटक (Amarkantak) से 10 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित  है | यहां विशाल शिवलिंग है जिसकी ऊंचाई 11 फीट है और इसका वजन 51 टन है  | इस शिवलिंग पर अभिषेक करने के लिए सीढियां लगे गई हैं | शिवलिंग को ओमकारेश्वर से और जलहरी को कटनी से लाया गया है | सावन सोमवार को श्रद्धालु बड़ी संख्य में यहाँ पहुँचते हैं |

  (12) संत कबीर चबूतरा | Sant Kabir Chabutra Amarkantak –

यह स्थान अमरकंटक (Amarkantak) से 8 किलोमीटर दूर डिन्डोरी रोड पर स्थित है | कहा जाता है कि इस स्थान पर संत कबीर दास ने कई वर्षों तक ध्यान लगाया था | इस स्थान के पास एक छोटा पानी का कुंड है इसमें  हमेसा पानी की धार निकलती रहती है | यहीं कबीर की कुटिया और कबीर चबूतरा है जिस पर कबीरदास जी बैठा करते थे | इसी के पास एक वटवृक्ष है माना जाता है कि   कबीरदास इसके नीचे  ध्यान किया करते थे |कबीर पंतियों के लिए इस स्थान का बहुत महत्व है | इस स्थान के पास मध्यप्रदेश के अनूपपुर और डिन्डोरी जिले के सांथ-सांथ छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और मुंगेली जिले की सीमाएं मिलती हैं |

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KABIR CHABUTRA AMARKANTAK

(13) भृगु कमंडल अमरकंटक | Bhragu Kamandal Amarkantak-

अमरकंटक में माँ नर्मदा मंदिर से 4 किलोमीटर दूरी पर भृगु कमंडल स्थित है| जनश्रुति अनुसार इस स्थान पर भृगु ऋषि ने कठोर तप किया था जिससे उनके कमंडल से एक नदी निकली जिसे करा कमंडल कहा जाता है | आगे जाकर यह नदी पवित्र नर्मदा नदी में मिल जाती है | इस स्थान पर कमंडल के आकृति से नदी की धार दिखलाई देती है |अमरकंटक में नर्मदा परक्रमावासी सोनमुड़ा होते हुये भृगु कमण्डल अवश्य जाते हैं |

(14) चंडिका गुफा अमरकंटक  | Chandika Gufa Amarkantak–

माँ नर्मदा कुंड से 4 किलोमीटर की दूरी पर चंडिका गुफा नामक स्थान है | यहां पहुँचने का मार्ग बहुत ही कठिन है |  यह योगियों के लिए तपस्या  क्षेत्र है | माना जाता है कि वर्षो पूर्व गुफा के अन्दर योग साधना मंत्र लिखा गया है |

(15) बहगड़ नाला श्री गणेश मन्दिर | Bahgad naala Ganesh Temple –

अमरकंटक से 35 किलोमीटर दूर राजेन्द्रग्राम ( पुष्पराज गढ़ )के निकट गणेश जी कि प्रतिमा है जो लगातार बढ़ रही है | कहा जाता है कि पहले प्रतिमा की ऊंचाई एक फुट थी जो अब 11 फुट हो गई  है | पास ही मैं गौरी कुंड और गौरी गुफा है | मंदिर की देख रेख साधु संत करते हैं | बसंत पंचमी को यहां विशाल मेला भरता है | यह मंदिर घने जंगलों से घिरा है |

 अमरकंटक के उत्सव | Festivals in Amarkantak –

अमरकंटक (Amarkantak) में प्रतिवर्ष नर्मदा जयन्ती बड़े ही धूम धाम से मनाई जाती है , नर्मदा जयन्ती के अवसर पर पुरे अमरकंटक को सजाया जाता है और रात्री में माहा आरती का आयोजन नर्मदा उद्गम कुंड पर किया जाता है |  महाशिव रात्री में यहां विशाल मेला लगता है जिसमें दूर –दूर से श्रद्धालु आते हैं | इसके अतिरिक्त दीपवाली , होली और अन्य त्योहरों  भी यहां बड़ी ही धूम-धाम से मनाये जाते हैं | शासन द्वारा भी समय-समय पर विभिन्न प्रकार केकार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं |

अमरकंटक में रूकने के व्यवस्था | Where to Stay in Amarkantak  –

अमरकंटक में रुकने के लिये म.प्र. टूरिस्म के होटल के अतिरिक्त कई प्राइवेट होटल , आश्रम ,और धर्म शालायें हैं |जिनमे प्रमुख है –
(1 ) म.प्र. टूरिस्म हॉलिडे होम्स
(2 ) साल वेली रिसोर्ट
(3 ) होटल हॉलिडे होम्स
(4 ) होटल श्रीमाता सदन
(5 ) हॉलिडे होम्स स्विस कॉटेज
(6 ) कल्याण आश्रम
(7 ) वर्फानी आश्रम
(8 ) अरण्डी  आश्रम
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Kalyan Ashram Amarkantak

अमरकंटक पहुँच मार्ग | How to Reach Amarkantak –

 वायु मार्ग- अमरकंटक (Amarkantak) से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जबलपुर डुमना एयरपोर्ट है जो 245 किलोमीटर है |
रेल मार्ग- अमरकंटक (Amarkantak) सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पेंड्रा रोड है जो 35 किलोमीटर है, सुविधानुसार अनूपपुर रेल्वे स्टेशन 72 किलोमीटर है |
सड़क मार्ग- अमरकंटक (Amarkantak) सड़क मार्ग से जबलपुर से जो 245 किलोमीटर,बिलासपुर से 125 किलोमीटर, अनुपूर से 72 किलोमीटर ,डिन्डोरी से 88 किलोमीटर और शहडोल से 100 किलोमीटर है | किलोमीटर से डिन्डोरी,जबलपुर ,शहडोल, पेंड्रा ,मंडलाऔर बिलासपुर  के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है | 

अमरकंटक के माँ नर्मदा उद्गम कुंड के बारे में और अधिक जानकारी आप हमारे नीचे दिये गये youtube चैनल के लिंक पर भी देख सकते हैं -
https://youtu.be/0l7LXKGutO8



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